आज हम आपको कुछ ऎसे मुम्बई महाराष्ट्र के ऎतिहासिक जगहों के बारे में बताने जा रहे है जो दुनियाँ भर के लोगो के लिये आकर्षण का केंद है जिनका निमार्ण कई सालों पहले किया गया था। जो आज भी इतिहास के पन्नो में कैद है जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है और इन जगहों को अपने कैमरों में कैद कर के ले जाते है तो आइए जानते है कुछ ऐसी ही जगह के बारे में
गेटवे ऑफ इंडिया-Gateway of India
गेटवे ऑफ इंडिया भारत में 20 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया महाराष्ट्र का प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक है। यह मुंबई के दक्षिण अरब सागर के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज मार्ग के अंत में अपोलो बंदर क्षेत्र के तट पर स्थित है। गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई के “ताजमहल” के रूप में भी जाना जाता है जिससे आप इसके ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा लगा सकते है। गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण दिल्ली दरबार के पहले किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी की मुंबई यात्रा के उपलक्ष्य में किया गया था। इसके निर्माण की आधारशिला 31 मार्च, 1913 को रखी गयी थी जो 1924 में जाकर पूरा हुआ था। मुख्य रूप से इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला शैली में निर्मित इस स्मारक का मेहराब मुस्लिम शैली का है जबकि सजावट हिंदू शैली की है।
गेटवे ऑफ इंडिया के सामने मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगी है जो मराठाओं के गर्व और साहस के प्रतीक को प्रदर्शित करती है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Maharashtra) में से एक गेटवे ऑफ़ इंडिया मुंबई शहर का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है जो दुनिया भर पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करता है।
एलीफैंटा केव्स-Elephanta Caves
एलीफैंटा आइलैंड (Elephanta Island) मुंबई के तट से कुछ दुर एक आइलैंड है। यह भारत के सबसे मनोहर और प्राचीन स्थानों मेंसे एक है। यदि आप मुंबई के दर्शनीय स्थल की सैर पर निकले हैं तो आपको एलीफैंटा की खूबसूरती के दर्शन करना काफी ज़रूरी है। एलीफैंटा की सबसे रहस्यमयी बात ये है के आज तक किसी को यह नहीं पता की इसकी रचना किसने की। यह दर्शनीय स्थल पत्थरों से काट कर बना है और इसकी वास्तुकला देखते ही बनती है। एलीफैंटा की इस खूबसूरत कृति को उपनिवेश कल मैं काफी नुक्सान पहुंचाया गया लेकिन इसकी शोभा आज भी सैलानियों को भावविभोर कर देती है। अगर आप मुंबई के शोर से कुछ दूर शांति मैं समय बिताना चाहते हैं तो एलीफैंटा आइलैंड आपके लिए सबसे बेहतरीन जगह है
अजंता और एलोरा गुफाएं -Ajanta and Ellora Caves
भारत के महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद शहर के पास स्थित हैं जो भारत की सबसे प्राचीन प्राचीन रॉक-कट गुफाओं में से एक हैं। अजंता और एलोरा गुफाएं महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा घूमने जाने वाले पयर्टन स्थलों में से एक है। सुंदर मूर्तियों, चित्रों और भित्तिचित्रों के साथ सुसज्ज्ति अजंता और अलोरा की गुफाएँ बौद्ध, जैन और हिंदू स्मारकों का मेल है। अजंता और एलोरा की गुफाएँ यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में शामिल किया गया है।
बीबी का मक़बरा-Bibi Ka Maqbara
इस मक़बरे का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के पुत्र आज़म शाह ने अपनी माँ दिलरस बानो बेगम की याद में बनवाया था। इन्हें राबिया-उद-दौरानी के नाम से भी जाना जाता था।
इस मकबरे की लागत खर्च की रकम मुगल सम्राट औरंगज़ेब द्वारा प्रदान की गई थी और निर्माणकार्य उसके पुत्र आज़म शाह द्वारा किया गया था।
यह ताज महल की आकृति पर बनवाया गया था। यह औरंगाबाद, महाराष्ट्र में स्थित है। यह मक़बरा अकबर एवं शाहजहाँ के काल के शाही निर्माण से अंतिम मुग़लों के साधारण वास्तुकला के परिवर्तन को दर्शाता है। ताजमहल से तुलना के कारण ही यह उपेक्षा का कारण बना रहा। मुगल काल के दौरान यह वास्तु औरंगाबाद शहर का मध्य हुआ करता था। इस मकबरे को ताजमहल की नकल भी कहा जाता है। जो कि ओरंगजेब की वास्तुकला को दर्शाता है।
माना जाता है कि इसका निर्माण 1660-1661 ई के मध्यकाल में हुआ। ग़ुलाम मुस्तफा की रचना “तारीख नाम” के अनुसार इसके निर्माण का व्यय 6,68,203.7 रुपये हुआ था। यह वास्तू कुल 25 एकड़ मे फैली हुई है। जसमे मुख्य गुम्बद और चार मीनारें हैं।[1] इस मक़बरे का गुम्बद पूरी तरह संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। गुम्बद के अलावा दूसरा निर्माण प्लास्टर से किया गया है। इस वास्तु के निर्माण के लिए लगनेवाले पत्थर जयपुर की खदानों से लाये गए थे। आज़मशाह इसे “ताजमहल” से भी ज्यादा भव्य बनाना चाहता था परंतु बादशाह औरंगज़ेब द्वारा दिए गए खर्च में वह मुमकिन नहीं हो पाया।
इस मक़बरे का डिज़ाइन अतउल्लाह द्वारा किया गया था। अतउल्लाह के पिताजी उस्ताद अहमद लाहोरी को विश्वप्रसिद्ध “ताजमहल” के मुख्य आर्किटेक्ट के तौर पर पहचाना जाता था। इस मक़बरे का गुम्बद ताजमहल के गुम्बद से आकार में छोटा है। तकनीकी खामियों के कारण और संगमरमर की कमतरता के कारण यह वास्तु कभी भी “ताजमहल” के बराबर नहीं समझा गया ।
कन्हेरी गुफाये-Kanheri Caves
यदि आप अपनी इस ट्रिप के लिए हिस्ट्रीकल प्लेसेस ऑफ़ महाराष्ट्र को सर्च कर रहे हैं तो मुंबई में बोरीवली के पास, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित “कान्हेरी की गुफाएँ” आपके लिए एक दम परफेक्ट जगह है। महाराष्ट्र की महाराष्ट्र की प्रमुख ऐतिहासिक गुफाये में शामिल कान्हेरी की गुफाएँ वास्तव में चट्टानों का समूह हैं जिन्हें गुफाओं के रूप में काटा गया हैं। ये गुफाएँ भारत की सबसे प्राचीन गुफायों में से एक है जो प्राचीन काल के बौद्ध प्रभाव का चित्रण करती हैं।
आपको जानकारी हैरानी हो सकती है काहेरी गुफाएँ 100 से अधिक रॉक-कट गुफाओं का एक आकर्षक संग्रह है जिसमें ब्राह्मी, देवनागरी और 3 पाहलवी में शिलालेख सहित लगभग 51 सुपाठ्य शिलालेख और 26 एपिग्राफ हैं, यह शिलालेख पहली शताब्दी से लेकर 10 वीं शताब्दी तक के माने जाते हैं, जो उनके बेसाल्ट संरचनाओं को दर्शाते हैं।
शनिवार वाड़ा-Shaniwar Wada
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विरासत स्थल में शामिल शनिवार वाड़ा एक भव्य हवेली है जिसे 18वीं शताब्दी में बाजीराव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। बाजीराव ने मराठा शासक- छत्रपति साहू के पेशवा या प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। जब इस किले का वाडा बनाया गया था तब इसने शहर के लगभग पूरे क्षेत्र को कवर किया जो अब केवल 626 एकड़ तक रह गया है। शनिवार वाड़ा, विश्वासघात और छल की कहानियों से भरा हुआ है, साथ ही पेशवाओं की भव्यता, वीरता और न्यायपूर्ण शासन के अंतिम स्थायी प्रमाणों को भी जनता के सामने लाता है। पुणे शहर का पूरा पुराना हिस्सा इस ऐतिहासिक संरचना के चारों ओर एक अराजक लेकिन विडंबनापूर्ण, व्यवस्थित फैशन में रखा गया है।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस – Chhatrapati Shivaji Terminus
विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से मशहूर यह आधुनिक पुरातन रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल भी है, जिसे सी एस टी या वी टी के नाम से भी जाना जाता हैं। मुंबई शहर का यह रेल्वे स्टेशन अद्भुत संरचना और भारत में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस वास्तु शैलियां गोथिक कला का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है। महाराष्ट्र के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक में से एक छत्रपति शिवाजी टर्मिनस को वर्ष 1853 में एक रेलवे स्टेशन के रूप में तैयार किया गया था जिसे बोरी बंदर रेलवे स्टेशन के रूप में स्थापित किया गया था। सन 1878 में महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती के अवसर पर इस रेलवे स्टेशन को टर्मिनस के रूप में पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया गया था।
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के ऐतिहासिक महत्त्व को देखते हुए वर्ष 1997 में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई को यूनेस्को के तहत विश्व विरासत स्थल में शामिल कर लिया गया था
इस लेख में आपने महाराष्ट्र के प्रमुख और सबसे अधिक घूमें जाने ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के बारे में जाना है