महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल लेकर : क्या अजित पवार के 18 विधायक शरद पवार के साथ ही जाएंगे?
रोहित ने यह कहा है , 'अजित पवार गुट के करीब 18 से 19 विधायक पवार साहब (शरद पवार) और हमारे वरिष्ठ के नेताओं के संपर्क में हैं। करीब के 12 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। अब यह तय किया जा रहा है की विधायकों को पार्टी में वापस लिया जाना चाहिए।'
मुंबई : लोकसभा के चुनाव में विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के शानदार प्रदर्शन के बाद से अब गठबंधन के सभी नेताओं में जोश आ गया है। इसी बीच में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के नेता रोहित पवार ने दावा किया है की उन्होंने कहा है कि अजित पवार के गुट 18 से 19 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में भी हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के करीब के एक दर्जन विधायक भारतीय की जनता पार्टी (भाजपा) के संपर्क में हैं। अजित पवार ने पिछले ही साल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से अलग भी हो गए थे और बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन सरकार में शामिल भी हो गए थे। अजित पवार को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया था।
रोहित ने यह कहा है , 'अजित पवार गुट के करीब 18 से 19 विधायक पवार साहब (शरद पवार) और हमारे वरिष्ठ के नेताओं के संपर्क में हैं। करीब के 12 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं। अब यह तय किया जा रहा है की विधायकों को पार्टी में वापस लिया जाना चाहिए।'
पिछले दस सालों से बीजेपी शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों और नेताओं को अपने पाले में करने में लगी थीं। लेकिन तो 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य के बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को मिली यह करारी हार ने सत्तारूढ़ दलों में बेचैनी पैदा कर दिया है। इस साल अक्टूबर में ही विधानसभा चुनाव में होने की संभावना है, ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी के कई विधायकों में से इस बात को लेकर यह संदेह है कि क्या वे फिर से चुने जा सकते हैं।
विधासनभा चुनाव को लेकर हुई बढ़ी टेंशन
48 लोकसभा सीटों के नतीजों पर गौर करें तो 288 विधानसभा के सीटों में से विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी 150 सीटों पर अब आगे चल रहा है। इस राज्य में सरकार बनाने के लिए अब तो 144 सीटें चाहिए। विपक्ष की इस जीत से बीजेपी के सांसदों के गढ़ में भी सेंध लगी हुई है। सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों में यह डर पैदा भी हो गया था कि यदि वे उनके ही साथ में बने रहे तो क्या वे निर्वाचित हो पाएंगे?
लेकिन तो खास बात तो यह है कि अजित पवार के करीबी विधायकों में से एक नीलेश लंके ने भी लोकसभा चुनाव से पहले ही शरद पवार गुट में वापस आए थे और सांसद चुने भी थे। इस घटनाक्रम ने अजित पवार के खेमे के विधायकों में और भी बेचैनी पैदा कर दिया है। तब अजित पवार ने स्थिति का जायजा लेने के लिए भी अपने विधायकों की बैठक में बुलाई हुई थी। राज्य एनसीपी के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने शरद पवार के खेमे के इस दावे में कोई भी सच्चाई नहीं होने से इनकार किया हुआ है कि अजित पवार विधायक पाला बदल भी लेंगे
अब तटकरे ने यह दावा किया हुआ है की, 'यह जानबूझकर फैलाया जा रहा भी है। कुछ लोग तो इस नतीजों के बाद निराश हैं, लेकिन तो उनकी (विपक्ष की) जीत फर्जी वीडियो और अन्य फर्जी प्रचार के कारण से ही हुई है। इसीलिए तो वे जीते भी हैं।' संयोग से,अब अजीत पवार खेमे के चार विधायक गुरुवार को अजीत की बुलाई गई बैठक में अनुपस्थित रहे। अब अजीत गुट ने यह भी दावा किया है कि इस विधायकों के पहले से ही कुछ जरूरी प्लान भी थे। तब उन्होंने बैठक में शामिल होने में असमर्थता के बारे में भी नेतृत्व को पहले से ही सूचित कर दिया हुआ था।