महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य परिषद, नाशिक तथा एच. पी. टी. आर्ट्स एण्ड आर. वाई. के. साइंस कॉलेज, नाशिक के संयुक्त तत्वावधान में इस कॉलेज के गुरुदक्षिणा सभागार में 'लोक साहित्य एवं भारतीय ज्ञान परम्परा' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीराम परिहार एवं अन्य अतिथिगणों ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
गणेश पाण्डेंय। मुंबई
मुंबई, 6 नवम्बर। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य परिषद, नाशिक तथा एच. पी. टी. आर्ट्स एण्ड आर. वाई. के. साइंस कॉलेज, नाशिक के संयुक्त तत्वावधान में इस कॉलेज के गुरुदक्षिणा सभागार में 'लोक साहित्य एवं भारतीय ज्ञान परम्परा' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. श्रीराम परिहार एवं अन्य अतिथिगणों ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। प्रथम सत्र में 'भारतीय ज्ञान परम्परा' विषय पर जयपुर के इंदुशेखर तत्पुरुष, नाशिक के दिलीप क्षीरसागर, डॉ. रोचना भारती, डॉ. सुबोध कुमार मिश्र, डॉ. चंद्रिका प्रसाद मिश्र एवं डॉ. श्रीराम परिहार ने अपने विचार व्यक्त किये।
सत्र की अध्यक्षता डॉ. श्रीराम परिहार ने की। द्वितीय सत्र में 'भारतीय लोक साहित्य' विषय पर पुणे के डॉ. महेंद्र ठाकुरदास, नाशिक के स्वप्निल कुलकर्णी, प्रा. विजय अवस्थी एवं अकोला के डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ल ने अपने विचार प्रस्तुत किये। सत्र की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ल ने की। सम्पूर्ण संगोष्ठी का संचालन श्रीमती सुनीता माहेश्वरी ने किया तथा अंत में आभार प्रदर्शन भारत सिंह ठाकुर द्वारा किया गया। संगोष्ठी में यशवंतराव विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ. बिसेन ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। विभिन्न अतिथियों द्वारा इस मौके पर प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी में विभिन्न गणमान्य साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।