Love you mumbai | सपनो का शहर मुंबई की कहानी

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Love you mumbai | सपनो का शहर मुंबई की कहानी
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Love you mumbai – सपनो का शहर मुंबई की कहानी 

भारत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है, मुंबई शहर, पहले इस शहर का नाम बम्बई था लेकिन सन 1995 इस शहर का नाम बदलकर  मुंबई कर दिया गया। मुंबई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है और सपनों का शहर भी। क्या आपको पता है कि इस शहर की रचना सात छोटे-छोटे द्वीपों से हुई है।और यह पुलों द्वारा मुख्य भूखंड के साथ जुड़े हुए हैं। वैसे तो मुंबई का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन 17वीं शताब्दी में इस शहर के साथ एक दिलचस्प घटना घटी थी, जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। तो आईए आज हम जानते हैं मुंबई शहर के बारे में दिलचस्प कहानी के बारे में जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
भगवान श्री गणेश के 11 शक्ति पीठ केवल मुंबई में ही है। इसी कारण से यह श्री गणेश विसर्जन बड़ी धूम – धाम से हर साल मनाया जाता है। मुंबई के सबसे अमीर देवता श्री गणेश लालबाग के राजा है। लालबाग के राजा मुंबई वासियों का दिल है।
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संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान सफारी के लिए बहुत प्रसिद्ध है। उस समय पार्कोंपीन , तेंदुआ, सांभर हिरण आदि जनावर आपको देखने को मिल सकते है। और यह चोबीसो साल पुरानी कन्हेरी गुफाएं भी स्थित है।
मुंबई भारत की सबसे बड़ी नगरी होने के साथ ही भारत देश का एक महत्व आर्थिक केंद्र भी कहा जाता है।
मुंबई दुनिया के नौवे सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में से एक है।और इस  प्राकृतिक शहर में बंदरगाह भी है। इसके साथ ही मुंबई में मनोरंजन और वाणिज्यक क्षेत्र में भारत की राजधानी है। उत्तर में स्तिथ संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान है जिसे नेशनल पार्क नाम से कहा जाता है। यह उद्यान केवल जानवरों का घर नही बल्कि जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है।
कुछ लोगो का मानना है कि बॉम्बे नाम पुर्तगाल से आया है,क्युकी पुर्तगाली वासी इसे “बॉम बाहिया” कहते थे,जिसका अर्थ होता है।
“एक सुंदर खाड़ी” तबसे मुंबई नाम इस शहर को इसलिए मिला क्युकी मुंबई शहर  धारावी का  पूरे एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती वाला इलाका है। मुंबई के लोगो का मानना है कि मुंबई में खाना मिल जाता है , लेकिन रहना बहुत ही मुश्किल है।
भारत में सबसे पहला पांच सितारा ताज होटल खोला गया था।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान
उसके बाद। भारत में पहला एयर पोर्ट मुंबई में खोला गया था। जिसका उदघटान सन 1928 में हुआ था। इसके अलावा सबसे पहले रेल सेवा मुंबई से ठाणे तक शुरू की गई थी। ऐसे बहुत से लोग है जो ऑफिस में काम करते है, उन्हें खाने के लिए सभी डिब्बेवालो पर निर्भर रहते है।मुंबई में डिब्बेवालों का पूरा तक एक lunch box dilivery systems है।
सन 1890 में पहली बार मुम्बई में डिब्बेवालो की शुरुवात हुई थी। खास बात ये भी है की इसमें अनपढ़ लोग भी शामिल हो सकते है। यह सिस्टम लगभग 2127 साल पुराना है। मुंबई को एक और नाम रखा गया है हेप्टानेसीया लेकिन यह नाम सन 2050 ईशा पूर्व के समय तक ही था। सबसे प्रसिद्ध  वडा पाव और भेल पूड़ी है। कभी कभी भोजन न मिलने के कारण मजबूरी से लोग वडा पाव खाकर अपना जीवन चलाते है।
उत्तरी मुंबई में कांदिवली के पास मिले प्राचीन अवशेषों से पता चलता है कि मुंबई द्वीप समूह पाषाण युग से ही बसा हुआ है। यहां 250 ईसा पूर्व में भी लोग रहा करते थे। इसके लिखित प्रमाण भी मिलते हैं। तीस वर्ष पूर्व  द्वीपसमूह मौर्य साम्राज्य का भी हिस्सा बना था,तब सम्राट अशोक का शासन था। बाद में इसपर कई साम्राज्य के राजाओं ने शासन किया।
पांच सितारा ताज
15वीं शती में जब मुंबई द्वीप समूह गुजरात सल्तनत के कब्जे में था, तब पहली बार पुर्तगालियों ने इसपर हमला बोला। हालांकि उस समय वो इसे हड़प नहीं पाए। इसके बाद उन्होंने 1534 शती में मुंबई द्वीप समूह पर एक बार फिर हमला किया। तब यहां गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह का कब्जा था, जिसे हथिया कर इस द्वीप समूह पर पुर्तगालियों ने अपना अधिकार कर लिया। उसके बाद इस द्वीप समूह पर उन्होंने कई सालों तक राज किया।
17वीं शताब्दी की शुरुआत में जब अंग्रेज पहली बार भारत आए तो उनकी नजर भी मुंबई द्वीप समूह पर पड़ी, क्योंकि उस समय तक यह द्वीप समूह एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र बन चुका था। कहते हैं कि इस द्वीप समूह को लेकर अंग्रेजों और पुर्तगालियों में कई बार विवाद भी हुए। बाद में दोनों के बीच का यह विवाद तब खत्म हुआ, जब पुर्तगाल के राजा ने अपनी बेटी कैथरीन की शादी इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय से करने का फैसला किया।
1661 ईस्वी में पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन और इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय की शादी हो गई। असल में यह शादी एक विवाह संबधित था। वैसे तो इस शादी में पुर्तगाल ने इंग्लैंड को बहुत कुछ दिया है ।लेकिन सबसे जरूरी चीज जो उसने दी, वो था मुंबई द्वीप समूह। पुर्तगाल ने मुंबई को ही दहेज के रूप में इंग्लैंड के राजा को दे दिया। हालांकि बाद में राजा चार्ल्स द्वितीय ने मुंबई द्वीप समूह को ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र 10 पाउंड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिया। इस तरह अंग्रेजों का मुंबई पर कब्जा हुआ, जो भारत की आजादी तक जारी  रहा।
 देश – भारत
प्रान्त – महाराष्ट्र
ज़िला – मुम्बई शहर ज़िला
स्थापना – 1507
नाम स्रोत – मुम्बादेवी
शासन प्रणाली-महानगर पालिका
सभा – बृहंमुम्बई महानगरपालिका
जनसंख्या (2011) :-
महानगर 1,24,42,373
महानगर -1,84,14,288
भाषाए – आधिकारिक मराठी भाषा – समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5.30
पिनकोड – 400 001 से 400 107
दूरभाष कोड – +91-22
वाहन पंजीकरण – MH-01 मुम्बई (दक्षिण/मध्य), MH-02 मुम्बई (पश्चिम), MH-03 मुम्बई (पूर्व), MH-47 Borivali
एचडीआई (2013)
 0.846(very high)
वेबसाइट

मुंबई के मूलरूप का अर्थ

मुंबई शब्द का उदगम मुंबा देवी से हुआ है। छोटी खाड़ी में रहने। वाले जनजाति के कुलदेवी का नाम मुंबादेवी है।और जिस बस्ती में वो लोग रहते है उसे  मुंबाई कहते है जो समय के साथ मुंबई और बंबई हुआ  “मुंबई” नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, मुंबा या महा-अंबा जो हिन्दू देवी दुर्गा का रूप है, जिनका नाम मुंबा देवी है। और मराठी में मां को आई रूप से कहा जाता है ।वह नाम बाँम्बे या बम्बई का उद्गम सोलहवीं शताब्दी से आया है, जब पुर्तगाली लोग यहां पहले-पहले आये, इसे कई नामों से पुकारा, जिसने अन्ततः बॉम्बे का रूप लिखित में लिया। यह नाम अभी भी पुर्तगाली प्रयोग में है। सत्रहवीं शताब्दी में, ब्रिटिश लोगों ने यहां अधिकार करने के बाद, इसके पूर्व नाम का आंग्लीकरण किया, जो बॉम्बे बना। किन्तु मराठी लोग इसे मुंबई या मंबई  कहते है,तो हिन्दी भाषी लोग इसे बम्बई बुलाते है। इसका नाम सन 1995 में मुंबई रूप से पड़ा।
मुंबादेवी
इतिहास
कांदिवली के समीप उत्तरी मुंबई में मिले प्राचीन अवशेष से पता चल रहा है की यह द्वीप समूह पाषाण युग से बसा हुआ है। पहले के जमाने में मानव आबादी लिखित प्रमाण 250 ईसा पू तक मिलते थे। जब इसे हैप्टानेसिया कहा जाता था।तीसरी शब्बादी में ईसा .पू .में द्वीपसमूह मौर्य साम्राज्य का भाग बना तब बौद्ध सम्राट अशोक महान का शासन था। शुरवाती में मुंबई का नियंत्रण सतावहन साम्राज्य और इंडो – साइथियन वैस्टर्न सैट्रैप के बीच  विवाद हुआ बाद में हिन्दू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां १३४३ तक राज्य किया, तब गुजरात के राजा का उनपर अधिकार नहीं  था। कुछ पुरातन नमूने, जैसे ऐलीफैंटा गुफाएं व बालकेश्वर मंदिर इस काल के मिलते थे।
1534 में पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह द्वीप समूह हड़प लिया जो की उसके बाद में चार्ल्स द्वितीय , इंग्लैड को दहेज के रूप में दे दिया।चार्ल्स का विवाह कैथरीन डे बर्गैन्ज़ा से हुआ था
यह द्वीपसमूह १६६८ में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र दस पाउण्ड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिया गया।यहां की जनसंख्या १६६१ की मात्र दस हजार थी, जो १६७५ में बढ़कर साठ हजार हो गयी। १६८७ में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने मुख्यालय सूरत से स्थानांतरित करने के बाद  मुंबई में स्थापित किया और अंत में  नगर बंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया।