मुंबई कोली समुदाय की मछली पकड़ने की विरासत और संस्कृति

मुंबई सपनों का शहर है, मुंबई शहर कामकाज के लिए एक मैं केंद्र बन चुका है लोग इस शहर में अलग-अलग जगह से आकर कामकाज करते हैं और अपना पेट पलते हैं। मुंबई में कई अलग-अलग स्थानों, नस्लों और समुदायों के अलग अलग प्रकार के लोग एक साथ मिल कर रहते हैं और उनमें से बहुत लोग इस जगह को अपना घर मानते हैं। लेकीन, कोली मछली पकड़ने वाले समुदाय के पास निश्चित रूप से मुंबई के मूल निवासियों के पद पर सबसे मजबूत अधिकार होना चाहिए। कोली लोगों का मैन कारोबार मछली बेचना ही होता है जिससे वह अपना घर आसानी से चलते हैं। कोली, महाराष्ट्र में एक पारंपरिक मछली पकड़ने वाला समुदाय है। उनके समुदाय का एक खास हिस्सा राजस्थान और दक्षिणी गुजरात के कुछ इलाकों में भी है। कोली लोग समुद्र के किनारे ही बसे होते हैं ताकि उनको मछली पकड़ने में आसानी हो।

मुंबई कोली समुदाय की मछली पकड़ने की विरासत और संस्कृति
Mumbai coli community fishing hearitage and culture
मुंबई कोली समुदाय की मछली पकड़ने की विरासत और संस्कृति

मुंबई सपनों का शहर है, मुंबई शहर कामकाज के लिए एक मैं केंद्र बन चुका है लोग इस शहर में अलग-अलग जगह से आकर कामकाज करते हैं और अपना पेट पलते हैं। मुंबई में कई अलग-अलग स्थानों, नस्लों और समुदायों के अलग अलग प्रकार के लोग एक साथ मिल कर रहते हैं और उनमें से बहुत लोग इस जगह को अपना घर मानते हैं। लेकीन, कोली मछली पकड़ने वाले समुदाय के पास निश्चित रूप से मुंबई के मूल निवासियों के पद पर सबसे मजबूत अधिकार होना चाहिए। कोली लोगों का मैन कारोबार मछली बेचना ही होता है जिससे वह अपना घर आसानी से चलते हैं।कोली, महाराष्ट्र में एक पारंपरिक मछली पकड़ने वाला समुदाय है। उनके समुदाय का एक खास हिस्सा राजस्थान और दक्षिणी गुजरात के कुछ इलाकों में भी है।

कोली लोग समुद्र के किनारे ही बसे होते हैं ताकि उनको मछली पकड़ने में आसानी हो। इन बस्तियों के प्रवेश रास्ते पर ही एक बहुत बड़ा मछली बाज़ार मिलना बहुत ही आम बात है। जहां हर प्रकार की मछलियां मिलती हैं रोहू, सिंगर, बोमबिल ,रानी मच्छी, भांगड़ा...एक समुदाय के रूप में, कोली अपने खाने के प्रति बहुत भावुक हैं। उनके खाना पकाने का एक महत्वपूर्ण तत्व कोली मसाला है,जो एक मसाला मिश्रण है लाल मिर्च, इलायची , काली मिर्च, तेज पत्ते और जायफल सहित लगभग 18 अलग अलग मसालों का यूज करके बनाया जाता है। कोली समुदाय अपने पानी को महत्व देता है और उसके अंदर के जीवन का सम्मान करता है। समुद्री खाना और समुद्री जीवन उनकी कल्चर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कोली मछुआरों की मूर्ति:–

कोहली लोगों के लिए बीएमसी ने एक मूर्ति स्थापित की है, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने माहिम मछुआरों की कॉलोनी के पास कोली मछुआरों और उनकी नाव की 11 फीट लंबी, 1500 किलोग्राम की मूर्ति बनवाई है।

गोल्फ़ा देवी वर्ली के सोन कोलियों की प्रोटेक्टर देवी हैं। कोई भी अच्छा काम, पर्सनल या समुदाय से जुड़ा, कौल नामक अनुष्ठान के माध्यम से उनका प्रार्थना किए बिना शूरो नहीं किया जाता है ।गोलफा देवी उत्सव भी तीन दिन का होता था लेकिन अब ये उत्सव कम कर रात भर का उत्सव बन गया है। कौल्स में एक मंदिर को होने वाली हानि से दूसरे मंदिर को श्रद्धालुओं की संख्या में लाभ हो सकता है। 1904 में स्थापित महादेव मंदिर ने सब से जादा लोगों को आकर्षित किया है क्योंकि यह न केवल पूजा के लिए मशहूर हैं।बल्कि योग, धर्मग्रंथों को पढ़ने, ध्यान, संगीतऔर बहुत कार्यक्रमों के लिए भी एक केंद्र बन गया है।

कोली महोत्सव:–

कोली का मुख्य त्योहार 'नाराली पुनव' हर साल महान तरीके से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन के बाद हवा और समुद्री लहरें गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए सहायक हो जाती हैं। किसानों की तरह ही पूरा कोली समुदाय इस दिन को फसल कटाई के नए मौसम की शुरुआत के दीन में मनाते है। कोली लोग समुद्र देवता से प्रार्थना करते हैं और नावों के साथ पवित्र व्यवहार किया जाता है। हाल ही में, वर्सोवा में कोली लोगों ने मुंबई शहर में अपनी कल्चर को दिखाने के लिए समुद्री खाद्य उत्सव आयोजित करके अपने त्योहार को बहुत ही जोर शोर से मनाना शुरू किया हैं।

कोली डांस:–

कोली समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा डांस हैं। उनके डांस स्टेप्स में समुद्र और मछली पकड़ने के तत्व शामिल होता हैं। क्योंकि वह लोग समुद्र और मिट्टी की पूजा करते हैं, इसलिए उनके डांस में उनके व्यवसाय के प्रति श्रद्धांजलि भी शामिल होती है। समुदाय के एक साथ मिल कर प्रदर्शन करते हैं और डांस करते समय नावों और लहरों की गतिविधियों को बताते हैं। कोली डांस एक बहुत ही अच्छा होता है कोहली लोग अपने डांस के ऊपर बहुत ही ध्यान देते हैं।

भारत सरकार ने अब इन लोगों को 2001 में MP, गुजरात और राजस्थान राज्यों के लिए प्लान जाति की लिस्ट के तहत अलग अलग हिस्सों किया है। वे प्लांडप्लान्ड जनजातियों की लिस्ट में भी आते हैं। हालाँकि कोली समुदाय इस आधिकारिक कैटेगराइजेशन से दूर है, लेकिन उनकी जीवंत जनजाति और निर्भीकता उन्हें आपके नियमित मछली पकड़ने वाले समुदाय से कहीं अधिक बनाती है।

सी फूड:–

आज के टाइम मे तो सी फूड खाना सभी को पसंद होता है सीफूड में हाई विटामिन मौजूद होते हैं जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही जरूरी है, अगर आप सीफूड खाने के शौकीन है तो वर्सोवा कोली सीफ़ूड फेस्टिवल अगले महीने होने वाला है - यह एक ऐसा आयोजन है जो मुंबई लोग को बहुत पसंद आता है। यह समुद्री भोजन उत्सव अपने साथ एक ऐसा समय लेकर आता है, जिसमें आदमी खाना, इंटरटेनमेंट, डांस और संगीत से भरे वीक के तीन दिन आप भर पूर आनंद ले सकते है। ये त्यौहार बहुत ही अच्छा होता है, और महाराष्ट्र की कोली कल्चर से रूबरू होने का एक मौका भी मिलता है। यह त्यौहार लगातार तीन दिन तक चलते रहता है आप को यहा बहुत से स्टालों में 25 से भी ज्यादा मछली की अलग अलग वेराइटी मिलती है। यह महोत्सव को 2006 में शुरू किया गया था। यह कोली लोगों के लिए मुंबई के लोगों से जुड़ने और कोहली संगीत, डांस और खाद्य कल्चर का एडवर्टाइज करने का एक तरीका है। यहां पर आप कोली लोगों का भोजन टेस्ट कर सकते हैं । जो वाकई में बहुत ही टेस्टी होता है। जो आपको कोई भी महंगे रेस्टोरेंट में भी नहीं मिलेगा। और वह भी बहुत ही कम पैसे में, साथा ही आप बहुत सारा एंजॉयमेंट भी कर सकते हैं। वाकई में वर्सोवा सीफूड फेस्टिवल समुद्री खाना प्रेमियों के यात्रा कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण जगह बन गया है।