बुलेट ट्रेन, मेट्रो और कोस्टल रोड प्रॉजेक्ट के प्रदूषण पर बॉम्बे हाई कोर्ट भड़का, अफसरों को लताड़ा

इस लापरवाही का क्या कारण हो सकता है। मेट्रो 3 की साइट पर भी बैरिकेटिंग नहीं कराई  गई है। सभी संबंधित अथॉरिटी के लिए अब  यह सचेत होने का समय है। की पब्लिक अथॉरिटी  और प्रदूषण नियंत्रण के लिए जो कुछ हो  राहा  है, वह उसका कर्तव्य है। और अथॉरिटी यह कह कर खुद की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है कि उसने बहुत काम किया है। वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए अब कोर्ट ने एमपीसीबी को सभी औद्योगिक इकाइयों का पॉल्यूशन ऑडिट करने की दिशा में कदम बढ़ाने को कहा है। 

बुलेट ट्रेन, मेट्रो और कोस्टल रोड प्रॉजेक्ट के प्रदूषण पर बॉम्बे हाई कोर्ट भड़का, अफसरों को लताड़ा
Bombay High Court angry over pollution of Bullet Train, Metro and Coastal Road Project, scolded officers

Neha pal | love you mumbai 

मुंबई: एमएमआर और मुंबई के लोगों के  सांसों के लिए संकट बन गए प्रदूषण पर मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के तेवर नज़र आ गए और बुलेट ट्रेन और कोस्टल रोड पर कंस्ट्रक्शन साइट से पॉल्यूशन से जुड़े सब नियमों का उल्लंघन के लिए महाराष्ट्र के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और (एमपीसीबी) और बीएमसी को कड़ी से कड़ी फटकार लगाई गइ। पब्लिक प्रॉजेक्ट से होने वाली  वायु प्रदूषण और कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर  किया। और इससे पहले कोर्ट ने कहा है  कि यदि अधिकारी और वायु प्रदूषण की गुणवत्ता को लेकर तय मानक तक  अब ले आए तो हम उनके नाम का सिफारिश पद्मभूषण पुरस्कार के लिए किया जायेगा। कोर्ट ने अब  अगली सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण का  स्थिति को सुधारने का कदम उठाए गए कदमों को लेकर विस्तृत हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने अब 18 मार्च को याचिका पर सुनवाई रखी गइ  है। हाई कोर्ट ने पिछले साल ही प्रदूषण के मुद्दे का स्वत: संज्ञान लिया  गया था। इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता बिरेंद्र सराफ ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी से जुड़ा हलफनामा पेश किया। उन्होंने यह कहा कि प्रदूषण के मुद्दे को देखने के लिए अब  उच्च पदस्थ कमिटी का गठन कराया गया है। इस पर अब कोर्ट ने कहा कि कमिटी में मुंबई के मुद्दे को देखने के लिए अब अलग सचिव नियुक्त किया जाए। 

साइट पर 25 फुट का  ऊंचाई का पतरा तक नहीं लगा! 

चीफ जस्टिस डीके  ने उपाध्याय और जस्टिस गिरीश ने  कुलकर्णी की बेंच ने तल्ख लहजे में कहा है कि मुंबईकरों की जीवन की सुरक्षा के लिए अब हम पब्लिक प्रॉजेक्ट पर रोक लगाने में बिल्कुल भी हिचकिचाहट नहीं  करेगे।  कोस्टल रोड की साइट पर  25 फुट का पतरा क्यों नहीं लगाया गया है? इस लापरवाही का क्या कारण हो सकता है। मेट्रो 3 की साइट पर भी बैरिकेटिंग नहीं कराई  गई है। सभी संबंधित अथॉरिटी के लिए अब  यह सचेत होने का समय है। की पब्लिक अथॉरिटी  और प्रदूषण नियंत्रण के लिए जो कुछ हो राहा  है, वह उसका कर्तव्य है। और अथॉरिटी यह कह कर खुद की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है कि उसने बहुत काम किया है। वायु प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए अब कोर्ट ने एमपीसीबी को सभी औद्योगिक इकाइयों का पॉल्यूशन ऑडिट करने की दिशा में कदम बढ़ाने को कहा है। 

इससे पहले बेंच को मलाड में 200 से अधिक एक्यूआई होने का  जानकारी दी गई है । सिर्फ रिपोर्ट पेश करने से प्रदूषण खत्म नहीं होगा इस पर बेंच ने कहा कि यह स्थिति सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। और अब संविधान में स्थानीय निकायों का  अर्बन लोकल हेल्थ गवर्नेंस के काम को प्राथमिकता देने की व्यवस्था बना दी गई  है।