मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट के ये आदेश पर 2 माह के बच्चे को लौटाया गया बिन ब्याही मां को, मुंबई की मार्मिक यह कहानी।

महिला विदेश में ही नौकरी के दौरान से एक शख्स के साथ संबंध के चलते ही गर्भवती हो गई थी। और 6 माह तक गर्भावस्था के बारे में उसे पता भी नहीं चला। जब वह भारत में आई तो उसे एक संस्था के बारे में उसे जानकारी मिली। उसने 29 मार्च 2024 को ही इस संस्था में बच्ची को जन्म दिया हुआ था।

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट के ये आदेश पर 2 माह के बच्चे को लौटाया गया बिन ब्याही मां को, मुंबई की मार्मिक यह  कहानी।
2 माह के बच्चे को लौटाया गया बिन ब्याही मां को।

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट मे 23 वर्षीय की महिला को उसकी दो माह की बेटी वापस से मिल गई है। बाल कल्याण कमिटी (सीडबल्यूसी) ने उस बच्ची को वापस करने के संबंध में एक आदेश भी जारी किया हुआ है। इस संस्था के द्वारा से बेटी को वापस न दिए जाने के कारण से महिला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर भी की हुई थी। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने यह सीडबल्यूसी को इस बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया हुआ था। तब महिला ने यह दावा किया हुआ था कि जिस संस्था की निगरानी में उसने बच्ची को जन्म दिया हुआ था, उसे अंधरे में रखकर ही उससे सरेंडर डीड साइन भी कराई गई थी। इस संस्था से बार-बार आग्रह किए जाने के बावजूद भी बेटी नहीं लौटाई गई। तब महिला ने यह दावा किया हुआ था कि वह बेटी के खुद से दूर होने के कारण से ठीक से रह भी नहीं पा रही है। भावनात्मक रूप से वह काफी दुखी हुई है।

'60 दिन के भीतर ही अब बच्ची को लिया जा सकता है वापस'

 60 दिनों के भीतर ही इस बच्चे को सौंपने को लेकर संस्था द्वारा की गई सरेंडर डीड को रद्द किया जा सकता भी है। अब महिला ने 60 दिन की अवधि के भीतर ही सीडबल्यूसी के पास में ही अपनी बेटी को वापस पाने के लिए आवेदन भी कर दिया था। लेकिन तो उसके बावजूद भी उस पर कोई भी निर्णय नहीं हो पाया था।

बुधवारके दिन को ही जस्टिस एन. आर. बोरकर और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेशन की बेंच ने भी याचिका पर सुनवाई की हुई है। तब वह महिला की वकील ने बेंच को यह बताया है कि उनकी मुवक्किल को बेटी को सौंप दी गई है, जबकि संस्था के वकील ने यह कहा है कि महिला की मदद करने के बावजूद भी संस्था पर अनावश्यक आरोप लगाए गए हैं।

तब बेंच ने यह कहा है कि ऐसे में इस मामलों में भावनात्मक प्रवाह काफी तेज से होता है, जिससे कई बार तो आचरण से ही असामान्य हो जाता है। इसलिए इस आरोपों पर बहुत विचार न किया जाए। तब बेंच ने यह भी कहा हुआ है कि अब भविष्य में इस बच्चे के हित और भलाई पर भी ध्यान दिया जाए। हालांकि सीडबल्यूसी ने उस बच्ची की कुशलता को जानने के लिए भी एक अधिकारी को नियमित तौर पर महिला के घर का दौरा करने का निर्देश भी दिया हुआ है।

हालाकि, महिला विदेश में ही नौकरी के दौरान से एक शख्स के साथ संबंध के चलते ही गर्भवती हो गई थी। और 6 माह तक गर्भावस्था के बारे में उसे पता भी नहीं चला। जब वह भारत में आई तो उसे एक संस्था के बारे में उसे जानकारी मिली। उसने 29 मार्च 2024 को ही इस संस्था में बच्ची को जन्म दिया हुआ था। उस महिला का दावा यह है कि उसे अंधरे में रखकर ही संस्था ने कई दस्तावेजों पर साइन भी करा लिए थे। उससे 5 अप्रैल 2024 को ही सरेंडर डीड पर भी हस्ताक्षर लिए गए थे।