मुनव्वर राणा को कंधा देने पहुंचे जावेद अख्तर..जनाजे मे पहुचें बॉलीवुड के कई सितारे

मुनव्वर राणा ने देश के विभाजन का दर्द झेला है. उनका पूरा परिवार उस वक्त पाकिस्तान चला गया. इस दर्द को उन्होंने अपनी किताब 'मुहाजिरनामा' में बयान किया.

मुनव्वर राणा को कंधा देने पहुंचे जावेद अख्तर..जनाजे मे पहुचें बॉलीवुड के कई सितारे
Javed Akhtar reached Munawwar Rana to lend a shoulder.... Many Bollywood stars reached the funeral

मुनव्वर राणा (26 नवंबर 1952–14 जनवरी 2024), रायबरेली, उत्तर प्रदेश) उर्दू भाषा के साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता शाहदाबा के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

अमीर ख़ुसरो अवार्ड 2006, इटावा

कविता का कबीर सम्मान उपाधि 2006, इंदौर

मीर तक़ी मीर अवार्ड 2005

शहूद आलम आफकुई अवार्ड 2005, कोलकाता

ग़ालिब अवार्ड 2005, उदयपुर

डॉ॰ जाकिर हुसैन अवार्ड 2005, नई दिल्ली

सरस्वती समाज अवार्ड 2004

मुनव्वर राणा का बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा, उनके पिता अनवर राणा ट्रक ड्राइवर थे और कोलकाता माल लेकर लाते-ले जाते थे. बाद में उन्होंने खुद का एक ट्रक खरीदा. कोलकाता में उन्होंने ट्रांसपोर्ट खोला और वहीं रहने लगे. मुनव्वर राणा कोलकाता में पिता के पास जाकर रहने लगे, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई की. मुनव्वर राणा, उर्दू भाषा के मशहूर साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता शाहदाबा के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उनके बहुत से नजदीकी रिश्तेदार और पारिवारिक सदस्य देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए। मुनव्वर राणा ने देश के विभाजन का दर्द झेला है. उनका पूरा परिवार उस वक्त पाकिस्तान चला गया. इस दर्द को उन्होंने अपनी किताब 'मुहाजिरनामा' में बयान किया. एक ही रदीफ काफिये पर उन्होंने करीब 500 शेर कहे है यह मुनव्वर राणा की बहुत ही मशहूर सायरी लिखी गई हैं जो लोगो को काफी पसंद है और दिल के बहुत ही करीब है। और मां पर बहुत ही मशहूर शायरी लिखी गई है।

     

ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाये,

दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है

          

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो 

तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है 

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए

इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

         

जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है 

 माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

आज एक अच्छी आवाज शांत हो गई है. मां पर कई रचनाएं लिखने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राना का देर रात कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया. वह कई दिनों से बीमार थे. उनका लखनऊ के PGI में इलाज चल रहा था. उन्हें 9 जनवरी को तबीयत बिगड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कर वाया गया था. राना ने 71 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है. राणा को किडनी और हार्ट संबंधी कई समस्याएं थी.

PTI के मुताबिक मुनव्वर राना की बेटी सुमैया ने बताया कि उनके पिता का रविवार देर रात अस्पताल में निधन हो गया. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मुनव्वर के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है. राना के बेटे तबरेज ने बताया कि बीमारी के कारण वह 14-15 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फीर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था. जहां उन्होंने रविवार रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली.

पिछले साल मुनव्वर राना को तबीयत खराब होने पर लखनऊ के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब भी उनकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. राना की बेटी और सपा नेता सुमैया राना ने बताया था कि उनके पिता का स्वास्थ्य पिछले दो-तीन दिनों से खराब है. डायलिसिस के दौरान उनके पेट में दर्द था जिसके चलते डॉक्टर ने उन्हें एडमिट कर लिया. उनके गॉल ब्लैडर में कुछ दिक्कत थी, जिसके चलते उसकी सर्जरी की गई. तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो उसके बाद वह वेंटिलेटर सपोर्ट सिस्टम पर चले गए.

अखि‍लेश ने कहा- ऐसे शायर बहुत कम होते हैं...  

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी मुनव्वर राना के आवास पर उन्‍हें श्रद्धांजल‍ि देने पहुंचे थे। अखिलेश यादव ने कहा, "मुनव्वर राणा देश के बड़े शायर थे... ऐसे शायर बहुत कम होते हैं जो कई मौकों पर बहुत स्पष्ट होते हैं... मैं प्रार्थना करूंगा कि भगवान उनके परिवार को यह दुख सहने की हिम्मत दें।"