Mumbai news : 255 परिवार को जल्द से जल्द घर खाली करने का नोटिस दिया है, धारावी रीडिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट के तहत से हुआ ऐसा

यूनियनों का यह कहना है कि रेलवे की जमीन को लेकर जो शर्तें रखी गईं थीं, उनका पालन भी नहीं किया जा रहा है। रेलवे के प्रशासन के द्वारा अब अपने ही स्टाफ को हटाने का नोटिस भी दिया जा रहा है, जो इस रेलकर्मियों के लिए अच्छी बात नहीं है।

Mumbai news : 255 परिवार को जल्द से जल्द घर खाली करने का नोटिस  दिया है, धारावी रीडिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट के तहत से हुआ ऐसा
Mumbai news: 255 families have been given notice to vacate their houses as soon as possible, this happened under the Dharavi Redevelopment Project.

मुंबई: धारावी के रीडिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट की शुरुआत अब रेलवे की जमीन से हो गई है। माटुंगा के रेलवे क्वॉटर्स में रहने वाले लोग को 255 परिवार को जल्द ही जल्द घर खाली करने का नोटिस भी थमा दिया है। इस प्रॉजेक्ट में रेलवे के कर्मचारियों के घर ही नहीं हटाए जा रहे हैं बल्कि अब दक्षिण मुंबई की करीब 7 एकड़ की हरियाली भी पुनर्विकास की भेंट चढ़ने भी जा रही है। इस रीडिवेलपमेंट के दौरान से रेलवे की इस जमीन से अब करीब 500 पेड़ों को भी हटाना होगा। अब आडानी ग्रुप के द्वारा रीडिवेलपमेंट का काम सुरु किया जाएगा। 26 मार्च को अब प्रॉजेक्ट की स्थिति को देखने के लिए रेलवे के बोर्ड मेंबर ने इंफ्रास्ट्रक्चर अनिल खंडेलवाल ने इस मौके पर दौरा भी किया गया। इस खंडेलवाल रेलवे के अब लैंड और डिवेलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) के चेयरमैन भी हैं। इस रेलवे की ओर से अब RLDA ही इस प्रॉजेक्ट के लिए कॉर्डिनेशन भी कर रही है।

यूनियन ने जताई अब आपत्ति

 इस रेलवे कर्मचारियों को क्वार्टर ख़ाली कराने का नोटिस के मिलने के बाद से अब उस यूनियन ने नाराजगी यह जताते हुए संबंधित रेलवे अधिकारियों और उस प्रशासन को भी पत्र लिखा गया है। उस पत्र में नोटिस देकर क्वार्टर खाली कराने का विरोध भी किया गया है। पत्र में प्रॉजेक्ट के लिए अब जो रेलवे क्वार्टर्स के पास अस्थाई कार्यालय भी बनाकर सुरक्षाकर्मी को बिठाने का विरोध भी किया गया है। यूनियन ने यह मांग की है की इस प्रॉजेक्ट में जो नई इमारतें बनाई जाएंगी, वहीं रेलवे के परिवार लोगों को भी क्वार्टर दिए जाएं। उस नैशनल के रेलवे मजदूर यूनियन (NRMU) ने यह लिखा हुआ है कि इस मामले में 2019 में ही रेलवे के अथॉरिटी के सामने ही 255 परिवारों की बात भी रखी गई थी। उस दौरान से यूनियन को भी आश्वासन दिया गया था कि रेल कमर्चरियों के लिए अब मौजूदा कॉलोनी में ही नई इमारत की व्यवस्था भी की जाएगी। तब सभी परिवारों के लिए व्यवस्था होगी, तब से ही रेलवे की जमीन राज्य सरकार को ही हस्तांतरित की जा सकती है। लेकिन पिछले ही कुछ महीनों में परिस्थितियां बदल भी गईं और अब इन परिवारों को ओर से कहीं शिफ्ट होने का आदेश भी निकाला जा चुका है।

क्या है रेलवे की जमीन का यह मामला

 इस धारावी के रीडिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट के तहत से दादर और माहिम और माटुंगा रोड में भी इस रेलवे की जमीन को भी इस प्रॉजेक्ट में शामिल भी किया गया था। इसमें माटुंगा रोड के रेलवे कॉलोनी की पूरी जमीन को हस्तांतरित करनी है। इस जमीन पर अब रेलवे के 255 परिवार रहते हैं। यह जमीन 19 एकड़ की है, जिसमें से अब 12 एकड़ के जमीन जहां रेलवे के कर्मचारी ही नहीं रहते हैं, वो पहले से ही हस्तांतरित कर दी गई थी। मंगलवार को इस रेलवे के बोर्ड के द्वारा इस प्रॉजेक्ट को लेकर बैठक भी की गई। इसमें से रेलवे के क्वार्टर खाली कराने का और रेलवे की करीब 47.5 एकड़ की जमीन को भी प्रॉजेक्ट अथॉरिटी को हस्तांतरित करने पर यह फैसला  

लिया गया था। सूत्रों का यह कहना है कि इस रेल कर्मचारियों को शिफ्ट करने के लिए उसे मना भी लिया गया था। इन स्टाफ को भी मुंबई में ही अन्य क्वार्टरों में भी शिफ्ट करने की सहमति बनी हुई थी। 

क्यों किया जा रहा है यूनियन का विरोध?

यूनियनों का यह कहना है कि रेलवे की जमीन को लेकर जो शर्तें रखी गईं थीं, उनका पालन भी नहीं किया जा रहा है। रेलवे के प्रशासन के द्वारा अब अपने ही स्टाफ को हटाने का नोटिस भी दिया जा रहा है, जो इस रेलकर्मियों के लिए अच्छी बात नहीं है। इन स्टाफ को शिफ्ट करने के लिए भी कोई प्लान भी तैयार नहीं किया गया है। 255 परिवारों को भी हटाया जा रहा है जबकि उनके बच्चों की पढ़ाई और स्कूल के इत्यादि की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह भी लग गया है। इस मामले में से अब सभी मजदूर के यूनियनों ने एकमत से नाराजगी जताई हुई है। क्योंकि यह सवाल अब 255 परिवारों के भविष्य का है।