मुंबई: बिजली की डिमांड हुई ऑल टाइम हाई, पीक टाइम पर अब 4,306 मेगावाट तक दर्ज हुआ रिकॉर्ड!
मुंबई के कई हिस्सों में अब अचानक कुछ घंटों तक ही बिजली गुल हो गई थी। ऐसा संकट दोबारा यह 22 फरवरी को 2022 को हुआ था। दरअसल, यह एमएमआर में बिजली की डिमांड भी बढ़ गई और जिन ट्रांसमिशन के लाइनों से बाहर से बिजली आती हैं, उन पर अब लोड बढ़ गया।
मुंबई: गर्मी के कारण मंगलवार के दिन को बिजली पीक टाइम के बिजली की डिमांड रेकॉर्ड अब 4,306 मेगावाट तक दर्ज किया है। इसके पिछले ही साल जून में 4,128 मेगावाट ऑल टाइम हाई रेकॉर्ड हुआ करता था। मुंबई के शहर को और उपनगर को मिलाकर सब करीब के 48 लाख बिजली के उपभोक्ता हैं। इनमें से भांडुप और मुलुंड शामिल नहीं है। मुंबई में फिलहाल आडानी इलेक्ट्रिसिटी के पास सबसे ज्यादा के 30 लाख उपभोक्ता भी हैं। इसके बाद से बेस्ट विद्युत उपक्रम के दस लाख के और टाटा पावर के 7 लाख उपभोक्ता भी हैं। महापारेषण से मिली यह जानकारी के अनुसार पर , मंगलवार के दिन को मुंबई में बिजली की डिमांड अब 4,306 के ऑल टाइम स्तर तक पहुंची गई है।
अब किसके पास है कितनी बिजली
यह डिमांड के दौरान से आडानी इलेक्ट्रिसिटी की ओर से 2,253 मेगावाट और टाटा पावर की ओर से अब 1,050 मेगावाट बिजली सप्लाई की गई है। मुंबई की बिजली डिमांड को पूरा करने के लिए अब आडानी इलेक्ट्रिसिटी के द्वारा ही डहाणू में एक ऊर्जा के प्रकल्प से 500 मेगावाट और टाटा पावर के ट्रॉम्बे प्रकल्प से अब 800 मेगावाट और हाइड्रो प्रकल्प से यह 447 मेगावाट बिजली का निर्माण किया जा रहा है। अतिरिक्त बिजली आसपास के राज्यों में से खरीदी भी जाती है। मुंबई शहर और उपनगरों के बाहर के राज्य में सरकारी महावितरण कंपनी के द्वारा ही पावर सप्लाई किया जाता है। महानिर्मिती की ओर से अब मंगलवार के दिन को ही 9,222 मेगावाट बिजली का निर्माण हुआ था। इस कंपनी के करीब 3 करोड़ के ग्राहकों ने मार्च एक महीने में से करीब के 25,830 मेगावाट बिजली का उपभोग किया गया था। अभी भी राज्यभर में करीब से करीब 24 हजार मेगावाट बिजली की मांग भी रहती है।
यह सीजन सुरु होने से पहले ही राजधानी मुंबई और मेट्रोपोलिटन रीजन (MMR) में अब सामान्य के मुकाबले करीब 800 मेगावाट अधिक का बिजली की जरूरत का अनुमान लगाया गया है। हर साल के मुकाबले अब इस साल गर्मी के सीजन में ज्यादा से ज्यादा दिनों तक यह गर्मी उमस भी रही है। आम दिनों में अब 2800-3000 मेगावाट तक बिजली की खपत होती जा रही है। अचानक से यह बिजली की डिमांड बढ़ने के कारण से कई इलाकों में अब तो पावर कट किया जा रहा है। वैसे में , इस देश की आर्थिक राजधानी होने के कारण से मुंबई में बिजली की कटौती भी अपेक्षाकृत कम या लगभग न के बराबर ही होती है। पिछले ही कुछ दशकों में ही MMR का विस्तार होने के कारण से बिजली की खपत में से बेतहाशा वृद्धि हुई है। जो शहर के रातभर जागता है उसे ही रोशन करने के लिए गुजरात में भी , राजस्थान और आसपास के राज्यों में भी बिजली लेनी ही पड़ती है।
कैसे दूर होगा अब बिजली का संकट
मुंबई के कई हिस्सों में अब अचानक कुछ घंटों तक ही बिजली गुल हो गई थी। ऐसा संकट दोबारा यह 22 फरवरी को 2022 को हुआ था। दरअसल, यह एमएमआर में बिजली की डिमांड भी बढ़ गई और जिन ट्रांसमिशन के लाइनों से बाहर से बिजली आती हैं, उन पर अब लोड बढ़ गया। इसके कारण से पावर फैल्योर भी हो गया। इस तरह के संकट से बचने के लिए अब 1981 में ही मुंबई के लिए आयलैंड सिस्टम की शुरुआत भी हुई थी। पूरे राज्य में अब बिजली का संकट हों, तब मुंबई की सप्लाई भी चेन को राज्य से अलग कर दिया जायेगा। करीब 40 साल बाद से ही इस आयलैंड सिस्टम के लिए अभी तक बहुत कुछ करना बाकी है।
कैसे बढ़ेगी उत्पादन ये क्षमता
आयलैंड सिस्टम में सबसे ज्यादा बोझ टाटा पावर के ट्रॉम्बे उत्पादन स्थल पर ही पड़ता है। यहां से करीब के 930 मेगावाट बिजली तैयार भी किए जाते है।और इसके अलावा भी उरण में गैस आधारित पावर प्लांट भी है जिसकी उत्पादन क्षमता करीब के 600 मेगावाट की ही है, लेकिन तो 150 मेगावाट के करीब ही उत्पादन किया जा रहा है। आडाणी पावर के द्वारा डहाणू के थर्मल प्लांट में अब 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है। कुल मिलाकर मुंबई की उत्पादन की क्षमता इस शहर की डिमांड के हिसाब से तो आधी ही है। ट्रॉम्बे पावर प्लांट में करीब के 800 मेगावाट बिजली आयातित कोयले से बनती ही है। कोयला भी महंगा होता जा रहा है, तो कंपनी की यह चिंता है कि भविष्य में ये उत्पादन बंद भी हो सकता है