Palghar : वसई–विरार अवैध निर्माण घोटाले में , ED की बड़ी कार्रवाई !
वसई–विरार से एक घोटाले का मामला सामने आया है जिसमें आपको जानकार हैरानी होगी कि एक कांस्टेबल, पुलिस अधिकारी, आईएएस, एएसआई और पीएसआई चाहे कोई भी हो जो दिन रात निगरानी रख लोगों की सुरक्षा में लगे रहते हैं . उनको लेकर बड़ी खबर सामने आ रही हैं जहां अवैध निर्माण के बड़े मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय यानी की ईडी ने आईएएस (IAS) अधिकारी और पूर्व नगर आयुक्त अनिल पवार (Anil Pawar ) को जेल भेज दिया है.

Palghar : वसई–विरार से एक घोटाले का मामला सामने आया है जिसमें आपको जानकार हैरानी होगी कि एक कांस्टेबल, पुलिस अधिकारी, आईएएस, एएसआई और पीएसआई चाहे कोई भी हो जो दिन रात निगरानी रख लोगों की सुरक्षा में लगे रहते हैं . उनको लेकर बड़ी खबर सामने आ रही हैं जहां अवैध निर्माण के बड़े मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय यानी की ईडी ने आईएएस (IAS) अधिकारी और पूर्व नगर आयुक्त अनिल पवार (Anil Pawar ) को जेल भेज दिया है.
यही नहीं पवार के साथ नगर योजनाकार वाई शिवा रेड्डी और दो बिल्डर जो कि सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता इनको भी गिरफ्तार किया गया है. ईडी की जांच में सामने आया है कि इन लोगों ने प्रशासनिक शक्तियों का ग़लत उपयोग कर बिल्डरों से रिश्वत ली और साथ ही शहर में बड़े पैमाने पर गैरकानूनी निर्माण करवाए.
सूत्रों के मुताबिक ईडी ने अदालत को बताया कि आरोपियों ने काली कमाई को सफेद बनाने के लिए हवाला और अंगड़िया चैनल का सहारा लिया. वही एजेंसी का कहना है कि यह टीम एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रही थी, जिसमें अधिकारी, बिल्डर और आर्किटेक्ट भी शामिल थे. धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए प्रशासनिक और वित्तीय सिस्टम ( Financial System) का ग़लत तरीके से इस्तेमाल किया गया.
मुंबई की विशेष अदालत में पेश किए जाने के बाद चारों आरोपियों को 14 दिन की न्याय संबंधी हिरासत में भेज दिया गया है. ईडी ने यह भी कहा कि जांच अभी बहुत जरूरी हो गया है क्युकी आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ भी कर सकते हैं या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. इस वजह से न्यायिक हिरासत होना जरूरी है.
एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि पवार और उनकी टीम द्वारा किया गया धन शोधन केवल महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार अंतरराज्यीय और सीमा पार नेटवर्क से भी जुड़े हैं. यह मामला वसई–विरार शहर महानगरपालिका (VVMC) क्षेत्र की सरकारी और निजी जमीनों पर बने अवैध रिहायशी और व्यावसायिक प्रोजेक्ट्स से मिलती जुलती है. फ़िलहाल ईडी अब इस पूरे घोटाले से जुड़ी काली कमाई और धन शोधन से जुड़े मामले की जाँच करेगी ताकि इस घोटाले से संबंधित कोई और सबूत मिल सकें.