Maharashtra Politics: विधायकों की रद्द होगी सदस्यता? NCP के दोनों गुटों को विधान परिषद से नोटिस
सूत्रों ने बताया कि नोटिस में दलबदल के आधार पर सदस्यता रद्द करने का जिक्र है. विधान परिषद सदस्य नियमावली, 1986 के तहत उपसभापति ने विधान परिषद के सदस्यों को सात दिनों के भीतर लिखित रूप में अपनी टिप्पणी देने का निर्देश दिया है. नोटिस में यह भी कहा गया है कि सात दिन के अंदर जवाब नहीं मिलने पर यह मानते हुए सदस्यता रद्द करने का निर्णय लिया जायेगा कि इसमें कहने को कुछ नहीं है.
Maharashtra NCP Political Crisis: अजित पवार गुट और शरद पवार खेमे के बीच पार्टी और सिंबल को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है. आज (8 दिसंबर) शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधान परिषद ने एनसीपी के दोनों गुटों को नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है. ये नोटिस एनसीपी के शरद पवार गुट के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल की ओर से दायर याचिका के बाद जारी किए गए हैं.
सात दिवस के भीतर जवाब देने आदेश
इसमें अजित पवार गुट के विधायक सतीश चव्हाण, अदिति झटकरे, विक्रम काले, अमोल मिटकारी को नोटिस भेजा गया है. शरद पवार गुट के जीतेंद्र फोड़ा की याचिका पर रामराजे नाइक निंबालकर को नोटिस जारी किया गया है. इस बीच अजित पवार गुट के अमोल मिटकारी की ओर से दायर याचिका में एकनाथ खडसे, शशिकांत शिंदे और अरुण लाड का नाम शामिल है. दोनों समूहों को नोटिस प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है.
दलबदल के आधार पर सदस्यता रद्द करने का जिक्र
सूत्रों ने बताया कि नोटिस में दलबदल के आधार पर सदस्यता रद्द करने का जिक्र है. विधान परिषद सदस्य नियमावली, 1986 के तहत उपसभापति ने विधान परिषद के सदस्यों को सात दिनों के भीतर लिखित रूप में अपनी टिप्पणी देने का निर्देश दिया है. नोटिस में यह भी कहा गया है कि सात दिन के अंदर जवाब नहीं मिलने पर यह मानते हुए सदस्यता रद्द करने का निर्णय लिया जायेगा कि इसमें कहने को कुछ नहीं है.
चुनाव आयोग में सुनवाई जारी
दूसरी ओर, किसका राष्ट्रवादी? इस पर चुनाव आयोग सुनवाई कर रहा है. अजित पवार के गुट ने चुनाव आयोग में अपना पक्ष रखा है. अजित पवार और शरद पवार गुट ने एक-दूसरे पर फर्जी हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया है. शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया है कि नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना शरद पवार ने की थी, फिर उनके बिना पार्टी कैसे अस्तित्व में रह सकती है. उधर, अजित पवार गुट की दलील है कि कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर सुप्रिया सुले की नियुक्ति गलत थी.