बंगाल में SIR के ऐलान से पहले 200 से ज्यादा अधिकारियों के ट्रांसफर, BJP ने चुनाव आयोग से की शिकायत

चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में कई जिलों के डीएम, एसडीएम समेत 200 से ज्यादा अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिए. इसको लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है. बीजेपी ने तो इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की है.  पश्चिम बंगाल सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से सोमवार (27 अक्टूबर, 2025) को 235 अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है, जिनमें 17 जिलाधिकारी, 22 अपर जिलाधिकारी, 45 उपखंड अधिकारी और 151 बीडीओ शामिल हैं. यह हालिया समय में एक बार में हुए सबसे बड़े तबादलों में से एक है. बीजेपी ने चुनाव आयोग से की शिकायत ममता सरकार की ओर से किए गए इन ट्रांसफरों पर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है. बंगाल बीजेपी ने कहा कि चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना किए गए इन 'अनियमित तबादलों' को तत्काल रद्द कर देना चाहिए.  बता दें कि हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) के प्रबंध निदेशक (MD), कोलकाता नगर निगम के नगर आयुक्त और हल्दिया विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भी तबादलों की सूची में शामिल हैं. स्थानांतरित जिलाधिकारियों की सूची में उत्तर और दक्षिण 24 परगना, कूच बिहार, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, दार्जिलिंग, मालदा, बीरभूम, झारग्राम और पूर्वी मेदिनीपुर जिले शामिल हैं. भाजपा ने TMC सरकार पर लगाया आरोप एक अधिकारी ने बताया कि इन कर्मियों से आगामी SIR कवायद में नोडल भूमिका निभाने की उम्मीद थी और निर्वाचन आयोग की ओर से कार्यक्रमों की घोषणा के बाद राज्य सरकार के लिए आगे फेरबदल करना असंभव हो जाता. राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कदम ममता बनर्जी प्रशासन की ओर से आगामी SIR प्रक्रिया को विफल करने का एक प्रयास है. वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अधिसूचनाओं को नियमित बताया है. भाजपा नेता सजल घोष ने आरोप लगाया, 'ममता बनर्जी को लग रहा है कि इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने और मतदाता सूची से बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए जाने के बाद उनकी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इसलिए, वह आखिरी समय में इतनी बड़ी संख्या में फेरबदल कर इस प्रक्रिया को बाधित करने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं.' भाजपा के आरोपों पर TMC का रिएक्शन इस आरोप को खारिज करते हुए, तृणमूल कांग्रेस आईटी प्रकोष्ठ प्रमुख देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए हथकंडे अपना रही है. उन्होंने कहा, 'प्रशासन में इस तरह के तबादले साल भर नियमित तौर पर होते रहते हैं. कोई कारण नहीं है कि इसके और SIR की घोषणा के बीच कोई संबंध जोड़ा जाए. यह केवल विरोध के लिए विरोध है.' ये भी पढ़ें:- 'ममता बनर्जी घबरा गई हैं, TMC में बौखलाहट है', बंगाल में SIR के विरोध पर भड़की बीजेपी

बंगाल में SIR के ऐलान से पहले 200 से ज्यादा अधिकारियों के ट्रांसफर, BJP ने चुनाव आयोग से की शिकायत

चुनाव आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने का ऐलान कर दिया है. चुनाव आयोग के ऐलान से कुछ घंटे पहले ही ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल में कई जिलों के डीएम, एसडीएम समेत 200 से ज्यादा अधिकारियों के ट्रांसफर कर दिए. इसको लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है. बीजेपी ने तो इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की है. 

पश्चिम बंगाल सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से सोमवार (27 अक्टूबर, 2025) को 235 अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया है, जिनमें 17 जिलाधिकारी, 22 अपर जिलाधिकारी, 45 उपखंड अधिकारी और 151 बीडीओ शामिल हैं. यह हालिया समय में एक बार में हुए सबसे बड़े तबादलों में से एक है.

बीजेपी ने चुनाव आयोग से की शिकायत

ममता सरकार की ओर से किए गए इन ट्रांसफरों पर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई है. बंगाल बीजेपी ने कहा कि चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना किए गए इन 'अनियमित तबादलों' को तत्काल रद्द कर देना चाहिए. 

बता दें कि हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HIDCO) के प्रबंध निदेशक (MD), कोलकाता नगर निगम के नगर आयुक्त और हल्दिया विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भी तबादलों की सूची में शामिल हैं. स्थानांतरित जिलाधिकारियों की सूची में उत्तर और दक्षिण 24 परगना, कूच बिहार, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, दार्जिलिंग, मालदा, बीरभूम, झारग्राम और पूर्वी मेदिनीपुर जिले शामिल हैं.

भाजपा ने TMC सरकार पर लगाया आरोप

एक अधिकारी ने बताया कि इन कर्मियों से आगामी SIR कवायद में नोडल भूमिका निभाने की उम्मीद थी और निर्वाचन आयोग की ओर से कार्यक्रमों की घोषणा के बाद राज्य सरकार के लिए आगे फेरबदल करना असंभव हो जाता. राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि यह कदम ममता बनर्जी प्रशासन की ओर से आगामी SIR प्रक्रिया को विफल करने का एक प्रयास है. वहीं, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अधिसूचनाओं को नियमित बताया है.

भाजपा नेता सजल घोष ने आरोप लगाया, 'ममता बनर्जी को लग रहा है कि इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने और मतदाता सूची से बड़ी संख्या में फर्जी मतदाताओं के नाम हटाए जाने के बाद उनकी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. इसलिए, वह आखिरी समय में इतनी बड़ी संख्या में फेरबदल कर इस प्रक्रिया को बाधित करने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं.'

भाजपा के आरोपों पर TMC का रिएक्शन

इस आरोप को खारिज करते हुए, तृणमूल कांग्रेस आईटी प्रकोष्ठ प्रमुख देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए हथकंडे अपना रही है. उन्होंने कहा, 'प्रशासन में इस तरह के तबादले साल भर नियमित तौर पर होते रहते हैं. कोई कारण नहीं है कि इसके और SIR की घोषणा के बीच कोई संबंध जोड़ा जाए. यह केवल विरोध के लिए विरोध है.'

ये भी पढ़ें:- 'ममता बनर्जी घबरा गई हैं, TMC में बौखलाहट है', बंगाल में SIR के विरोध पर भड़की बीजेपी