Kantara: Chapter 1 Review – लोककथा, एक्शन और विजुअल्स का जबरदस्त संगम

“Kantara: Chapter 1 Review – ऋषभ शेट्टी की भव्य फिल्म, दमदार एक्शन, शानदार विजुअल्स और प्रभावशाली क्लाइमैक्स के साथ थिएटर में देखने लायक।”

Kantara: Chapter 1 Review – लोककथा, एक्शन और विजुअल्स का जबरदस्त संगम

फिल्म का नाम: Kantara: Chapter 1
रिलीज़ डेट: 2 अक्टूबर 2025
स्टारकास्ट: ऋषभ शेट्टी, रुक्मिणी वसंत, गुलशन देवैया, जयाराम
निर्देशक: ऋषभ शेट्टी
प्रोड्यूसर्स: विजय किर्गंदुर, चालुवे गौड़ा
संगीत: बी. अजननीश लोकनाथ
कैमरामैन: अरविंद एस. कश्यप
एडिटर: सुरेश मलैया
रेटिंग (Love You Mumbai News):  (3.5/5)

कहानी (Story)

फिल्म की कहानी हमें कांतारा की जड़ों तक ले जाती है। यह एक ऐसे समय की कथा है जब जनजातियों और साम्राज्य के बीच टकराव अपने चरम पर था।

कुलशेखर (गुलशन देवैया) बंगरा साम्राज्य का नया राजा बनता है। उसकी सत्ता का विस्तार और जनजातियों पर पकड़ मजबूत करने की महत्वाकांक्षा साफ झलकती है। दूसरी ओर, बेरमे (ऋषभ शेट्टी) कांतारा जनजाति का मुखिया है, जो अपनी धरती और अपने देवताओं की रक्षा करने के लिए हर कीमत पर तैयार है।

पहले हाफ में फिल्म धीरे-धीरे अपने किरदारों और दुनिया का परिचय देती है — जनजातियों की संस्कृति, उनके देवी-देवता, और साम्राज्य के रिवाजों का विस्तार से चित्रण होता है।
इंटरवल तक आते-आते कहानी एक अहम मोड़ पर पहुँचती है, जब बेरमे और उसके लोग गुपचुप तरीके से बंगरा साम्राज्य में प्रवेश करते हैं।

दूसरे हाफ में असली टकराव सामने आता है — साम्राज्य और जनजाति के बीच युद्ध, आस्था और दिव्य शक्ति का मिलन। फिल्म का क्लाइमैक्स बेहद भव्य और रोंगटे खड़े कर देने वाला है।

प्लस पॉइंट्स (Plus Points)

1. तकनीकी भव्यता (Visuals & VFX)

“Kantara: Chapter 1” का सबसे बड़ा आकर्षण इसके विजुअल्स और VFX हैं।

  • जंगल के दृश्य हों, साम्राज्य के महल हों या युद्धभूमि — हर फ्रेम में एक भव्यता दिखाई देती है।

  • जानवरों वाले VFX सीन (खासकर घोड़ों और हाथियों का इस्तेमाल) इतने शानदार हैं कि दर्शक दंग रह जाते हैं।

  • यह कहना गलत नहीं होगा कि Hombale Films ने बजट को स्क्रीन पर पूरी तरह उतारा है।

2. ऋषभ शेट्टी का अभिनय

ऋषभ शेट्टी इस फिल्म की जान हैं।

  • उनके अभिनय में गुस्सा, आस्था और गहराई तीनों का मिश्रण देखने को मिलता है।

  • खासकर दिव्य आस्था और ट्रांस वाले सीन दर्शकों की आत्मा को छू लेते हैं।

  • एक्टर और डायरेक्टर दोनों रोल में ऋषभ शेट्टी ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ फिल्में नहीं, बल्कि अनुभव रचते हैं।

3. रुक्मिणी वसंत का सरप्राइज़

फिल्म का सबसे बड़ा सरप्राइज़ है रुक्मिणी वसंत

  • उनका किरदार केवल “हीरो की प्रेमिका” तक सीमित नहीं है, बल्कि कहानी के क्लाइमैक्स में उनका रोल अहम मोड़ लाता है।

  • उन्होंने अपने हिस्से के दृश्यों को जिस संवेदनशीलता और ताक़त से निभाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है।

  • क्लाइमैक्स में उनकी मौजूदगी ने कहानी का असर और बढ़ा दिया।

4. इंटरवल और क्लाइमैक्स ब्लॉक

  • फिल्म का इंटरवल पॉइंट शानदार है, जो अचानक कहानी को नई दिशा देता है।

  • क्लाइमैक्स वाकई सिनेमाघर का अनुभव है — दिव्य शक्ति, युद्ध के दृश्य और आस्था का संगम।

  • यह हिस्सा दर्शकों को तालियाँ और सीटी बजाने पर मजबूर कर देता है।

5. एक्शन सीक्वेंस

  • फिल्म में कई दमदार एक्शन सीन हैं, लेकिन रथ का पीछा करने वाला सीक्वेंस सबसे अलग है।

  • तलवारबाज़ी, तीरंदाजी और क्लाइमैक्स की जंग इतनी खूबसूरती से फिल्माई गई है कि दर्शक बांधे रहते हैं।

  • इसके साथ कुछ हल्के-फुल्के कॉमिक पल भी हैं जो भारीपन कम करते हैं।

माइनस पॉइंट्स (Minus Points)

1. धीमी शुरुआत और लंबा वर्ल्ड-बिल्डिंग

  • फिल्म का पहला हाफ धीमा है।

  • किरदारों और जनजातियों की दुनिया समझाने में बहुत समय लिया गया है।

  • इससे कुछ दर्शकों को शुरुआत थोड़ी खींची हुई लग सकती है।

2. गुलशन देवैया का किरदार

  • गुलशन देवैया एक शानदार अभिनेता हैं, लेकिन यहाँ उनका किरदार पूरी तरह उभर नहीं पाया।

  • उनका रोल और बेहतर लिखा जा सकता था।

3. अति-जानकारी और असंतुलन

  • फिल्म में बहुत सारी चीज़ें एक साथ दिखाने की कोशिश की गई — अलग-अलग जनजातियाँ, देवताओं की कथाएँ, बार्टर सिस्टम, रस्में।

  • कई बार यह सब “ओवरलोड” महसूस होता है।

  • कुछ ज़रूरी हिस्से जल्दबाज़ी में निपटा दिए गए, जबकि गैर-ज़रूरी हिस्से खिंच गए।

तकनीकी पहलू (Technical Aspects)

  • संगीत: अजननीश लोकनाथ का बैकग्राउंड स्कोर दमदार है, लेकिन कुछ जगहों पर ज़्यादा तेज़ लगता है। गाने औसत हैं, हालांकि “Rebel” ट्रैक और “Brahmakalasha” माहौल को पकड़ते हैं।

  • सिनेमैटोग्राफी: अरविंद एस. कश्यप का कैमरा वर्क शानदार है। युद्ध और जंगल के दृश्य उन्होंने बेहद खूबसूरती से कैद किए हैं।

  • एडिटिंग: फिल्म थोड़ी और कसावट पा सकती थी। अगर 10-15 मिनट छोटा किया जाता तो गति बेहतर रहती।

  • प्रोडक्शन वैल्यू: हर फ्रेम से साफ झलकता है कि फिल्म पर पैसा पानी की तरह खर्च किया गया है।

वर्डिक्ट (Verdict)

“Kantara: Chapter 1” एक भव्य अनुभव है।
यह फिल्म विजुअल्स, दमदार एक्शन और लोककथा के अनोखे मिश्रण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। ऋषभ शेट्टी का शानदार अभिनय, रुक्मिणी वसंत की प्रभावशाली मौजूदगी और क्लाइमैक्स इसे थिएटर में देखने लायक बनाते हैं।

हाँ, फिल्म की धीमी शुरुआत, लंबाई और कुछ असंतुलित हिस्से इसे परफेक्ट बनने से रोकते हैं। लेकिन अगर आप भव्य सिनेमाई अनुभव चाहते हैं तो Kantara: Chapter 1 एक थिएटर वॉच है।

रेटिंग:  (3.5/5)