रूसी तेल, ट्रंप के टैरिफ से लेकर आतंकवाद तक... ASEAN समिट में इन मुद्दों पर गरजे एस जयशंकर
भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा लगातार सीमित होने, मानदंडों के चयनात्मक अनुप्रयोग और बाजार पहुंच के मुद्दों पर सोमवार को गंभीर चिंता जताई. विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तल्खी आने की पृष्ठभूमि में आई है. आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप को लिया आड़े हाथकुआलालंपुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि विश्व को आतंकवाद के प्रति 'कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि इस खतरे के खिलाफ रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता. सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया. जयशंकर ने कहा, 'आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. प्रौद्योगिकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है. प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है.' उन्होंने कहा, 'ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं. सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए.' जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आई गिरावट के बीच आई है, जिसमें रूसी तेल की नई दिल्ली की खरीद पर 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है. अमेरिका की सुई रूसी तेल की खरीद पर अटकीभारत द्वारा रूसी तेल की खरीद नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंधों में एक पेचीदा मुद्दा बन गई है. कई अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि यह यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को की युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है. अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि बदलाव का अपना एक अलग ही महत्व होता है और दुनिया अनिवार्य रूप से नई परिस्थितियों के अनुरूप प्रतिक्रिया देगी. उन्होंने कहा, 'समायोजन किए जाएंगे, गणनाएं लागू होंगी, नई समझ विकसित होगी, नये अवसर सामने आएंगे और लचीले समाधान निकाले जाएंगे.' विदेश मंत्री ने कहा, 'आखिरकार, प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा, बाजार के आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता की वास्तविकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बहुध्रुवीयता न केवल स्थायी है, बल्कि बढ़ती भी रहेगी. ये सभी बातें गंभीर वैश्विक चर्चाओं की मांग करती हैं.'खाद्य सुरक्षा पर भी की चर्चाविदेश मंत्री ने खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा प्रवाह और व्यापार पर चल रहे संघर्षों के प्रभाव के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'हम ऐसे संघर्ष भी देख रहे हैं जिनके निकट और दूर, गंभीर परिणाम हैं. गहरी मानवीय पीड़ा के अलावा, ये संघर्ष खाद्य सुरक्षा को कमजोर करते हैं, ऊर्जा प्रवाह के लिए खतरा पैदा करते हैं और व्यापार को बाधित करते हैं.' आतंकवाद एक विनाशकारी खतरा बना हुआ है- जयशंकरजयशंकर ने कहा कि भारत गाजा शांति योजना का स्वागत करता है और यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत चाहता है. उन्होंने कहा, 'इस बीच, आतंकवाद एक सतत और विनाशकारी खतरा बना हुआ है. दुनिया को शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए. इसमें किसी भी प्रकार की दुविधा की कोई गुंजाइश नहीं है. आतंकवाद के विरुद्ध हमारे रक्षा अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता.' विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पूर्वी एशिया शिखर (ईएएस) सम्मेलन की गतिविधियों और इसके भविष्य की दिशा का पूर्ण समर्थन करता है. जयशंकर ने कहा कि 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'उल्लेखनीय है कि हिंद-प्रशांत महासागर पहल में और भी कई देश शामिल हो रहे हैं.' लोथल को लेकर क्या बोले भारतीय विदेश मंत्री?आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं. जयशंकर ने कहा, 'हम गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में एक ईएएस समुद्री विरासत महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव करना चाहते हैं. हम समुद्री सुरक्षा सहयोग पर सातवें ईएएस सम्मेलन की मेजबानी करने का भी इरादा रखते हैं.'
भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा लगातार सीमित होने, मानदंडों के चयनात्मक अनुप्रयोग और बाजार पहुंच के मुद्दों पर सोमवार को गंभीर चिंता जताई. विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तल्खी आने की पृष्ठभूमि में आई है.
आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप को लिया आड़े हाथ
कुआलालंपुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि विश्व को आतंकवाद के प्रति 'कतई बर्दाश्त नहीं करने' की नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि इस खतरे के खिलाफ रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता. सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया.
जयशंकर ने कहा, 'आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं. प्रौद्योगिकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है. प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है.' उन्होंने कहा, 'ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं. सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए.'
जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आई गिरावट के बीच आई है, जिसमें रूसी तेल की नई दिल्ली की खरीद पर 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है.
अमेरिका की सुई रूसी तेल की खरीद पर अटकी
भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंधों में एक पेचीदा मुद्दा बन गई है. कई अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि यह यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को की युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है. अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा कि बदलाव का अपना एक अलग ही महत्व होता है और दुनिया अनिवार्य रूप से नई परिस्थितियों के अनुरूप प्रतिक्रिया देगी.
उन्होंने कहा, 'समायोजन किए जाएंगे, गणनाएं लागू होंगी, नई समझ विकसित होगी, नये अवसर सामने आएंगे और लचीले समाधान निकाले जाएंगे.' विदेश मंत्री ने कहा, 'आखिरकार, प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा, बाजार के आकार, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, प्रतिभा और गतिशीलता की वास्तविकताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बहुध्रुवीयता न केवल स्थायी है, बल्कि बढ़ती भी रहेगी. ये सभी बातें गंभीर वैश्विक चर्चाओं की मांग करती हैं.'
खाद्य सुरक्षा पर भी की चर्चा
विदेश मंत्री ने खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा प्रवाह और व्यापार पर चल रहे संघर्षों के प्रभाव के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, 'हम ऐसे संघर्ष भी देख रहे हैं जिनके निकट और दूर, गंभीर परिणाम हैं. गहरी मानवीय पीड़ा के अलावा, ये संघर्ष खाद्य सुरक्षा को कमजोर करते हैं, ऊर्जा प्रवाह के लिए खतरा पैदा करते हैं और व्यापार को बाधित करते हैं.'
आतंकवाद एक विनाशकारी खतरा बना हुआ है- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि भारत गाजा शांति योजना का स्वागत करता है और यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत चाहता है. उन्होंने कहा, 'इस बीच, आतंकवाद एक सतत और विनाशकारी खतरा बना हुआ है. दुनिया को शून्य सहनशीलता का परिचय देना चाहिए. इसमें किसी भी प्रकार की दुविधा की कोई गुंजाइश नहीं है. आतंकवाद के विरुद्ध हमारे रक्षा अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता.'
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पूर्वी एशिया शिखर (ईएएस) सम्मेलन की गतिविधियों और इसके भविष्य की दिशा का पूर्ण समर्थन करता है. जयशंकर ने कहा कि 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाया जाएगा. उन्होंने कहा, 'उल्लेखनीय है कि हिंद-प्रशांत महासागर पहल में और भी कई देश शामिल हो रहे हैं.'
लोथल को लेकर क्या बोले भारतीय विदेश मंत्री?
आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं. जयशंकर ने कहा, 'हम गुजरात के प्राचीन बंदरगाह लोथल में एक ईएएस समुद्री विरासत महोत्सव आयोजित करने का प्रस्ताव करना चाहते हैं. हम समुद्री सुरक्षा सहयोग पर सातवें ईएएस सम्मेलन की मेजबानी करने का भी इरादा रखते हैं.'