मुंबई में भीख मांग कर खरीदी 3 एकड़ की जमीन, भाड़े से बेटी कमा रही है हर महीने लाखों रुपए,, !
15 हजार रुपये भी जमा कर ली थी। पुलिस ने यह बताया कि इकलौती बेटी और पोते से मिलने के लिए शांताबाई ने कभी कभार जाती थी लेकिन उसका अधिकतर समय मुंबई में ही भीख मानते ही गुजरता रहता था। वह एक मनी ट्रांसफर एंजेसी के जरिए से अपनी बेटी के खाते में हर महीने के कम से कम 25 हजार के रुपये भेज दिया करती थी। पुलिस तो हर एंगल से मामले की जांच कर रही है।
मुंबई: मुंबई में मंदिरों, सड़कों ,पर भीख मांगने वाली 79 साल की शांताबाई कुराडे भले ही अब वो इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन तो वह हर महीने के 25 से 35 हजार के रुपये कमाती थी। इनमें से वह हर महीने के 25 हजार रुपये अपनी बेटी को भेज दिया करती थी और बाकी के पैसे खुद पर ही खर्च करती थी पुलिस के अनुसार पर , इस पैसे से शांताबाई की बेटी और पोते के करीब 3 एकड़ जमीन भिन खरीद भी लिया जिस पर अब आज कपास, सोयाबीन और अन्य अनाज उपज भी रहे हैं। बाकी के जमीन पर घर बनाकर उससे हर महीने के लाखों रुपये भाड़ा कमा रहे हैं।
38 साल पहले ही शांताबाई मुंबई में आई हुई थी, क्योंकि पति उनका गांव के खेती बारी में काम करता था। दो साल के बाद ही पति की मौत हो जाने के बाद से उसके पास कोई ही काम धंधा नहीं रहा, तो वह खेती का जमीन बेचकर कर मुंबई आ गई और यहां पर वह भीख मांगने लगी। करीब 35-36 सालों से वह मुंबई में ही भीख मांग रही थी। वह भीख मांग कर ही उसने अपनी बेटी की धूमधाम से शादी को हुई थी। लेकिन तो शांताबाई खुद मालाड में चिंचोली बंदर के एक विट्ठल नगर में किराए के घर में रहा करती थी। इस घर के लिए वह हर महीने के 4 हजार रुपये भी मकान मालिक को दे देती थी पिछले के ही सप्ताह में शुक्रवार के दिन को ही शांताबाई के उसके ही घर मे से संदिग्ध हालात में लाश मिली हुई थी।
चोरी का हुआ केस दर्ज
तब मालाड के पुलिस ने उस अज्ञात लोगों के खिलाफ से हत्या और चोरी का केस में दर्ज भी कर के जांच की जा रही है और 50 से अधिक सीसीटीवी फुटेज की मदद से भी 45 साल के बैजू महादेव के मुखिया को गिरफ्तार कर लिया था । उसके बैजू इस घर में शांताबाई से पहले ही किराए पर रहता था लेकिन तो भाड़ा जमा नहीं करने की वजह से पिछले महीने । अब मकान मालिक ने उसको इस घर से निकाल भी दिया था। इतना ही नहीं, बल्की मकान मालिक ने यह बकाया किराया पर होने की वजह से उसके सामान को भी अपने पास ही रख लिया करता था। उसकी मौत की जांच अभी तक चालु है।
बैजू अपने ही उस पुराने घर में रखे हुए उस सामान को मकान मालिक की गैर मौजूदगी में निकालने के लिए अब लोहे की शीट हटाकर दाखिल हुआ। तब उसे यह लगा की वह घर खाली ही होगा। उस घर में घुसकर सामान निकाल कर वो गायब हो जाएंगे, लेकिन जैसे ही वह घर में घुसा तो उसकी नजर शांताबाई कुराडे पर पड़ी, जो बेड पर सोई हुई थी। वहीं पास में उसका पैसों से भरा हुआ एक बैग भी पड़ा हुआ था। बैजू ने तब उस पैसे वाले बैग को चुराने की कोशिश भी किया, लेकिन तो हल्का फुल्का शोर सुनकर शांताबाई की आंख भी खुल गई। उसने शोर मचाना शुरू भी कर दिया था। आरोप यह है कि पकड़े जाने के डर के कारण बैजू ने शांताबाई की मुंह में कपड़ा ठूंस कर उसके सिर पर कथित तौर पर किसी धारदार हथियार से वार भी कर दिया। इसके बाद से वह मौके से बिना पैसा लिए ही फरार हो गया।
सीनियर पीआई रवि की टीम यह सूचना मिलते ही वहा पर पहुंची और लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। केस की छानबीन करने के दौरान से पुलिस ने इस घटनास्थल से थोड़ी हुई दूर पर लगे 50 सीसीटीवी फुटेज को बारीकी से देखा तो एक सीसीटीवी फुटेज में वारदात वाली रात भी एक संदिग्ध व्यक्ति को बिना चप्पल के इलाके में आते हुए दिखाई दे रहा था। इस व्यक्ति जब तलाश शुरू की गई तो मुखबिर की मदद से उसका लोकेशन भी मालाड के ही विजय नगर इलाके में ही मिली। जहां पर जाल बिछाकर उसे गिरफ्तार कर भी लिया गया।
शांताबाई की हत्या करने की बात कबूल कर लिया
एक अधिकारी ने यह बताया है कि शुरू में तो बैजू पुलिस को गुमराह करने बहुत कोसिस किया लेकिन तो थोड़ी सख्ती दिखाने पर वह टूट गया और उसने शांताबाई की हत्या करने की बात भी कबूल कर लिया है। यह आरोपी बैजू बिहार के रहने वाला है। वह सालों पहले से ही मुंबई आया हुआ था यहां मजदूरी करने लगा था। वह मालाड में वह उसी कमरे में भाड़े पर रहने लगा, जहां पर शांताबाई कुराडे रहती थी। हालांकि, बाद में वह किराया नहीं चुकाने के कारण से मकान मालिक ने उसे बैजू को हटाकर उसी घर को चार हजार रुपये भाड़े पर शांताबाई को दे दिया था।
15 हजार रुपये भी जमा कर ली थी। पुलिस ने यह बताया कि इकलौती बेटी और पोते से मिलने के लिए शांताबाई ने कभी कभार जाती थी लेकिन उसका अधिकतर समय मुंबई में ही भीख मानते ही गुजरता रहता था। वह एक मनी ट्रांसफर एंजेसी के जरिए से अपनी बेटी के खाते में हर महीने के कम से कम 25 हजार के रुपये भेज दिया करती थी। पुलिस तो हर एंगल से मामले की जांच कर रही है।