"बॉम्बे के हाई कोर्ट में निर्देश पर उम्रकैद की सजा काट रहा है,कैदी अब वो क्या दे पाएगा LLB का CET एग्जाम "
इसलिए अब वेकेशन बेंच के सामने में ही अंसारी के आवेदन पर सुनवाई भी हुई है, जिसमें से अब सरकारी के वकील ने फरलो देने का विरोध भी किया कराया गया है। इस विरोध पर बेंच ने यह भी कहा है कि यह कैदी नौ साल से ही जेल में ही बंद हुआ है। इस अवधि के दौरान से ही वह एक बार भी जेल से बाहर नहीं निकला हुआ है। लेकिन तो वह लॉ की परीक्षा भी देना चाहता है,
मुंबई: हाई कोर्ट का परीक्षा देने के इच्छुक एक कैदी की फरलो पर अब रिहाई का विरोध भी करने पर कड़ी नाराजगी जाहिर भी किया हुआ है। इस हत्या के मामले में अब से दोषी कैदी सोहेल अंसारी को मुंबई की दिंडोशी कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई हुई थी। यह नौ साल से ही जेल में बंद अंसारी 30 मई तक के मुंबई में होनेवाली यह सीईटी की परीक्षा देना चाहता है, इसलिए पहले से ही उसने जेल प्रशासन से फरलो के लिए भी गुहार लगाई हुईं थी, लेकिन तो जेल प्रशासन ने अंसारी की मांग पर कोई भी विचार नहीं किया हुआ है। तब अंसारी ने ऐडवोकेट इरफान ऊनवाला के माध्यम से ही हाई कोर्ट में आवेदन किया हुआ है, जिसमें जेल में प्रशासन के फरलो न देने के आदेश को भी रद्द करने की मांग किया गया है। अब बता दें कि फरलो कैदियों को दी जानेवाली छुट्टी भी है।
वकील खिन्न बेंच ने यह कहा हैं कि अब हम कैदी को बेल पर ही रिहा करेंगे, ताकि वह ठीक ढंग से परीक्षा की आपनी पूरी अच्छे से तैयारी कर सके। बेंच ने कहा यह भी कहा हैं कि शुक्रवार के दिन को कैदी की ज़मानत का अर्जी पर सुनवाई भी किया जायेगा। तब सरकारी वकील इस मामले में अब हलफनामा दायर कर भी सकते हैं। इस मालाड के निवासी अंसारी को अब इस हत्या के मामले में 2014 में ही पडोस में रहने वाले एक व्यक्ति की हत्या के आरोप में भी गिरफ्तार भी हुआ था। तब से ही वह जेल में ही है। और 2021 में दिंडोशी कोर्ट ने उसे अंसारी सहित अन्य के आरोपियो को दोषी भी ठहराया हुआ था। दिंडोशी कोर्ट के यह फैसले को अंसारी ने हाई कोर्ट में भी चुनौती दिया हुआ है।
इसलिए अब वेकेशन बेंच के सामने में ही अंसारी के आवेदन पर सुनवाई भी हुई है, जिसमें से अब सरकारी के वकील ने फरलो देने का विरोध भी किया कराया गया है। इस विरोध पर बेंच ने यह भी कहा है कि यह कैदी नौ साल से ही जेल में ही बंद हुआ है। इस अवधि के दौरान से ही वह एक बार भी जेल से बाहर नहीं निकला हुआ है। लेकिन तो वह लॉ की परीक्षा भी देना चाहता है, अब यह सरकारी वकील का विरोध हमारी समझ से बाहर ही है।