लाडकी बहिन योजना के लिए खत्म हो गए फंड? BJP के मंत्री बोले- 'दिक्कत तो है, किसानों को भी पैसे दे रहे'
महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव से पहले सरकार की महत्वाकांक्षी 'माझी लाडकी बहिन योजना' को लेकर राजनीति गरमाने लगी है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने बयान दिया है कि इस योजना की वजह से राज्य के अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर बजट की भारी मार पड़ रही है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार का करीब 35 हजार करोड़ रुपये सालाना इस योजना में जा रहा है, जिससे बाकी योजनाओं के लिए संसाधन कम हो रहे हैं. अन्य योजनाओं पर बजट संकट- छगन भुजबल छगन भुजबल ने कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि माझी लाडकी बहिन योजना में सरकार का 35 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है. इस वजह से दीवाली में राशन आनंद योजना जैसी अन्य योजनाओं में दिक्कतें आ रही हैं." उन्होंने यह भी कहा कि इस साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे सरकार पर राहत कार्यों का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है. किसानों को गेंहू, चावल और नगद सहायता देने की प्रक्रिया चल रही है. सरकार के सामने दोहरी चुनौती राज्य सरकार एक ओर महिलाओं के सशक्तिकरण के लक्ष्य को लेकर 'माझी लाडकी बहिन योजना' चला रही है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों और गरीबों की सहायता भी करनी है. इस दोहरे दबाव के बीच वित्तीय प्रबंधन सरकार के लिए चुनौती बन गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की योजनाएं भले ही राजनीतिक रूप से फायदेमंद हों, लेकिन दीर्घकाल में वित्तीय संतुलन बिगाड़ सकती हैं. क्या है माझी लाडकी बहिन योजना? ‘माझी लाडकी बहिन योजना’ का उद्देश्य राज्य की 21 से 60 वर्ष की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाती है. हालांकि हाल ही में बड़ी संख्या में अपात्र लाभार्थियों के नाम सामने आए हैं, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. राज्य सरकार का कहना है कि सभी लाभार्थियों की जांच पारदर्शी तरीके से की जाएगी ताकि भविष्य में दुरुपयोग की संभावना कम हो सके.
महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव से पहले सरकार की महत्वाकांक्षी 'माझी लाडकी बहिन योजना' को लेकर राजनीति गरमाने लगी है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने बयान दिया है कि इस योजना की वजह से राज्य के अन्य कल्याणकारी योजनाओं पर बजट की भारी मार पड़ रही है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार का करीब 35 हजार करोड़ रुपये सालाना इस योजना में जा रहा है, जिससे बाकी योजनाओं के लिए संसाधन कम हो रहे हैं.
अन्य योजनाओं पर बजट संकट- छगन भुजबल
छगन भुजबल ने कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि माझी लाडकी बहिन योजना में सरकार का 35 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हो रहा है. इस वजह से दीवाली में राशन आनंद योजना जैसी अन्य योजनाओं में दिक्कतें आ रही हैं." उन्होंने यह भी कहा कि इस साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे सरकार पर राहत कार्यों का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है. किसानों को गेंहू, चावल और नगद सहायता देने की प्रक्रिया चल रही है.
सरकार के सामने दोहरी चुनौती
राज्य सरकार एक ओर महिलाओं के सशक्तिकरण के लक्ष्य को लेकर 'माझी लाडकी बहिन योजना' चला रही है, वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों और गरीबों की सहायता भी करनी है. इस दोहरे दबाव के बीच वित्तीय प्रबंधन सरकार के लिए चुनौती बन गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की योजनाएं भले ही राजनीतिक रूप से फायदेमंद हों, लेकिन दीर्घकाल में वित्तीय संतुलन बिगाड़ सकती हैं.
क्या है माझी लाडकी बहिन योजना?
‘माझी लाडकी बहिन योजना’ का उद्देश्य राज्य की 21 से 60 वर्ष की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जाती है. हालांकि हाल ही में बड़ी संख्या में अपात्र लाभार्थियों के नाम सामने आए हैं, जिससे योजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. राज्य सरकार का कहना है कि सभी लाभार्थियों की जांच पारदर्शी तरीके से की जाएगी ताकि भविष्य में दुरुपयोग की संभावना कम हो सके.