पुणे: शिंदे गुट के नेता ने बीजेपी के मंत्री पर लगाए गंभीर आरोप, 3000 करोड़ की जमीन से जुड़ा है मामला

महाराष्ट्र के पुणे में बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के दो नेता आमने-सामने आ गए हैं. केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री मुरलीधर मोहोल और शिवसेना के नेता रवींद्र धंगेकर के बीच तीन हजार करोड़ की जमीन से जुड़ा विवाद गहरा गया है.  दरअसल, ये पूरा विवाद पुणे के मॉडल कॉलोनी इलाके में स्थित जैन बोर्डिंग हाउस की 3.5 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़ा है. यह जमीन सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट की है, जो 1958 से जैन छात्रों के लिए हॉस्टल और मेस चला रहा है. यहां करीब 235 छात्रों की व्यवस्था, एक भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर, 240 पेड़, सेवक क्वार्टर्स और सामुदायिक हॉल मौजूद है. क्या है पुणे जैन बोर्डिंग जमीन विवाद? चूंकि यह जमीन पुणे के केंद्र में स्थित है, इसका बाजार मूल्य लगभग 3,000 करोड़ बताया जा रहा है. लेकिन ट्रस्ट ने इसे आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए गोखले कंस्ट्रक्शन्स को केवल 230 करोड़ में बेच दिया. शिवसेना (शिंदे गुट) नेता और पूर्व विधायक रवींद्र धांगेकर ने आरोप लगाया कि इस सौदे में केंद्रीय राज्यमंत्री और पुणे सांसद मुरलीधर मोहोल की भूमिका रही. रवींद्र धांगेकर ने लगाए गंभीर आरोप  रवींद्र धांगेकर ने आरोप लगाया कि मोहोल गोखले कंस्ट्रक्शन्स के पूर्व पार्टनर थे. उन्होंने 25 नवंबर 2024 को साझेदारी से इस्तीफा दिया, लेकिन यह राज्यमंत्री बनने के कारण मजबूरी में किया गया. उन्होंने ये भी दावा किया कि मोहोल ने राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर जैन मंदिर और हॉस्टल की जमीन बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए बेची. शिवसेना नेता रवींद्र धांगेकर ने ये भी आरोप लगाए कि टेंडर प्रक्रिया फर्जी थी और सभी तीन बोली मोहोल से जुड़े कंपनियों ने लगाईं. ट्रस्ट के 6 ट्रस्टी में से सिर्फ 4 ने सौदे पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने कहा कि यह 3,000 करोड़ का घोटाला है. उन्होंने मोहोल की प्रेस कॉन्फ्रेंस को 'निर्दोष दिखने का हताश प्रयास' बताया. चैरिटी कमिश्नर पर आरोप 20 अक्टूबर को मुंबई के चैरिटी कमिश्नर अमोघ कलोटी ने 'स्टेटस क्वो' आदेश दिया. धांगेकर ने कहा, "कमिश्नर खुद आरोपी हैं. उन्होंने पहले अनुमति दी और अब जनता को भ्रमित करने के लिए स्टेटस क्वो जारी किया. उनके खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए."  धांगेकर ने मोहोल पर वेटल टेकड़ी प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. उनका कहना है कि मोहोल के महापौर कार्यकाल में पुणे में अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार हुआ. उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मोहोल राष्ट्रवादी कांग्रेस में गए होते, तो अजितदादा पहले ही दिन उनका इस्तीफा मांग लेते.  'डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे मेरे साथ' धांगेकर ने मोहोल के इस्तीफे की मांग की और कहा कि, "मैं महायुती में हूं, लेकिन अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मेरे साथ हैं." मुरलीधर मोहोल का जवाब वहीं मुरलीधर मोहोल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनका जैन ट्रस्ट की संपत्ति से कोई संबंध नहीं है. गोखले बिल्डर के साथ उनकी साझेदारी 11 महीने पहले समाप्त हो चुकी थी. सारे लेन-देन बिल्डर ने किए. ये आरोप राजनीतिक बदले की भावना से लगाए गए हैं. मोहोल ने कहा कि उन्होंने सारे दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए हैं और जांच एजेंसियों से जांच की मांग की है. जैन समाज ने किया विरोध बता दें कि 20 अक्टूबर को चैरिटी कमिश्नर ने स्टेटस क्वो आदेश दिया.  सौदा फिलहाल स्थगित नहीं लेकिन कोई नया बदलाव नहीं हो सकता.धांगेकर ने इसे 'जनता को धोखा देने' का प्रयास बताया और अमोघ कलोटी के खिलाफ एफआईआर की मांग की. वहीं जैन समाज और सामाजिक कार्यकर्ता इस बिक्री का विरोध कर रहे हैं. फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा ने भी मोहोल को 'आदतन अपराधी' बताया. बीजेपी ने धांगेकर के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई, जिससे महायुती में तनाव बढ़ गया है. महायुति में सबकुछ ठीक नहीं? महाराष्ट्र की सरकार मे बीजेपी और शिवसेना एकसाथ है, पर फिर भी इन आरोपों ने दिक्कतें बढ़ा दी हैं. आरोपों के बाद मुरलीधर मोहोल सीएम फडणवीस को मिलने गए, वहीं दूसरी तरफ कुछ दिन पहले धांगेकर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के गाड़ी में बैठकर घुमते नजर आए. इसके बाद एक बात तो साफ है कि पुणे में महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.

पुणे: शिंदे गुट के नेता ने बीजेपी के मंत्री पर लगाए गंभीर आरोप, 3000 करोड़ की जमीन से जुड़ा है मामला

महाराष्ट्र के पुणे में बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के दो नेता आमने-सामने आ गए हैं. केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री मुरलीधर मोहोल और शिवसेना के नेता रवींद्र धंगेकर के बीच तीन हजार करोड़ की जमीन से जुड़ा विवाद गहरा गया है. 

दरअसल, ये पूरा विवाद पुणे के मॉडल कॉलोनी इलाके में स्थित जैन बोर्डिंग हाउस की 3.5 एकड़ जमीन की बिक्री से जुड़ा है. यह जमीन सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट की है, जो 1958 से जैन छात्रों के लिए हॉस्टल और मेस चला रहा है. यहां करीब 235 छात्रों की व्यवस्था, एक भगवान महावीर दिगंबर जैन मंदिर, 240 पेड़, सेवक क्वार्टर्स और सामुदायिक हॉल मौजूद है.

क्या है पुणे जैन बोर्डिंग जमीन विवाद?

चूंकि यह जमीन पुणे के केंद्र में स्थित है, इसका बाजार मूल्य लगभग 3,000 करोड़ बताया जा रहा है. लेकिन ट्रस्ट ने इसे आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए गोखले कंस्ट्रक्शन्स को केवल 230 करोड़ में बेच दिया. शिवसेना (शिंदे गुट) नेता और पूर्व विधायक रवींद्र धांगेकर ने आरोप लगाया कि इस सौदे में केंद्रीय राज्यमंत्री और पुणे सांसद मुरलीधर मोहोल की भूमिका रही.

रवींद्र धांगेकर ने लगाए गंभीर आरोप 

रवींद्र धांगेकर ने आरोप लगाया कि मोहोल गोखले कंस्ट्रक्शन्स के पूर्व पार्टनर थे. उन्होंने 25 नवंबर 2024 को साझेदारी से इस्तीफा दिया, लेकिन यह राज्यमंत्री बनने के कारण मजबूरी में किया गया. उन्होंने ये भी दावा किया कि मोहोल ने राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल कर जैन मंदिर और हॉस्टल की जमीन बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए बेची.

शिवसेना नेता रवींद्र धांगेकर ने ये भी आरोप लगाए कि टेंडर प्रक्रिया फर्जी थी और सभी तीन बोली मोहोल से जुड़े कंपनियों ने लगाईं. ट्रस्ट के 6 ट्रस्टी में से सिर्फ 4 ने सौदे पर हस्ताक्षर किए. उन्होंने कहा कि यह 3,000 करोड़ का घोटाला है. उन्होंने मोहोल की प्रेस कॉन्फ्रेंस को 'निर्दोष दिखने का हताश प्रयास' बताया.

चैरिटी कमिश्नर पर आरोप

20 अक्टूबर को मुंबई के चैरिटी कमिश्नर अमोघ कलोटी ने 'स्टेटस क्वो' आदेश दिया. धांगेकर ने कहा, "कमिश्नर खुद आरोपी हैं. उन्होंने पहले अनुमति दी और अब जनता को भ्रमित करने के लिए स्टेटस क्वो जारी किया. उनके खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए." 

धांगेकर ने मोहोल पर वेटल टेकड़ी प्रोजेक्ट में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. उनका कहना है कि मोहोल के महापौर कार्यकाल में पुणे में अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार हुआ. उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मोहोल राष्ट्रवादी कांग्रेस में गए होते, तो अजितदादा पहले ही दिन उनका इस्तीफा मांग लेते. 

'डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे मेरे साथ'

धांगेकर ने मोहोल के इस्तीफे की मांग की और कहा कि, "मैं महायुती में हूं, लेकिन अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा. उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मेरे साथ हैं."

मुरलीधर मोहोल का जवाब

वहीं मुरलीधर मोहोल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनका जैन ट्रस्ट की संपत्ति से कोई संबंध नहीं है. गोखले बिल्डर के साथ उनकी साझेदारी 11 महीने पहले समाप्त हो चुकी थी. सारे लेन-देन बिल्डर ने किए. ये आरोप राजनीतिक बदले की भावना से लगाए गए हैं. मोहोल ने कहा कि उन्होंने सारे दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए हैं और जांच एजेंसियों से जांच की मांग की है.

जैन समाज ने किया विरोध

बता दें कि 20 अक्टूबर को चैरिटी कमिश्नर ने स्टेटस क्वो आदेश दिया.  सौदा फिलहाल स्थगित नहीं लेकिन कोई नया बदलाव नहीं हो सकता.
धांगेकर ने इसे 'जनता को धोखा देने' का प्रयास बताया और अमोघ कलोटी के खिलाफ एफआईआर की मांग की. वहीं जैन समाज और सामाजिक कार्यकर्ता इस बिक्री का विरोध कर रहे हैं. फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा ने भी मोहोल को 'आदतन अपराधी' बताया. बीजेपी ने धांगेकर के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई, जिससे महायुती में तनाव बढ़ गया है.

महायुति में सबकुछ ठीक नहीं?

महाराष्ट्र की सरकार मे बीजेपी और शिवसेना एकसाथ है, पर फिर भी इन आरोपों ने दिक्कतें बढ़ा दी हैं. आरोपों के बाद मुरलीधर मोहोल सीएम फडणवीस को मिलने गए, वहीं दूसरी तरफ कुछ दिन पहले धांगेकर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के गाड़ी में बैठकर घुमते नजर आए. इसके बाद एक बात तो साफ है कि पुणे में महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.